एक वाक्य में कविता की परिभाषा ! अच्छा, ठीक है. हम कम से कम पांच सौ परिभाषाएं जानते हैं लेकिन उनमें से कोई भी हमें सटीक या पर्याप्त नहीं लगती. हर परिभाषा अपने समय के स्वाद को अभिव्यक्त करती है. जो ये अपने अंदर धंसा हुआ शंकावाद होता है न, ये हमें हमारी अपनी परिभाषा गढ़ने की कोशिश से दूर रखता है. लेकिन हमें कार्ल सैंडबुर्ग की प्यारी उक्ति याद हैः कविता, समंदर के एक जीव की डायरी है जो ज़मीन पर रहता है और उड़ान भरने की चाहत रखता है. हो सकता है इन्हीं दिनों वो ऐसा कर गुज़रे।
- विस्वावा शिम्बोर्स्का
यूटोपिया (आदर्शलोक)
द्वीप, जहाँ सब कुछ हो जाता है स्पष्ट।
जहाँ है ठोस घरातल तुम्हारे पैरों के नीचे।
केवल वही मार्ग जिन पर जाने की अनुमति है।
साक्ष्यों के भार से झुकी हुई होती हैं झाड़ियाँ।
यहाँ उगते हैं उचित परिकल्पनाओं के वृक्ष
और अनंत काल से हैं शाखाएं जहाँ बिना उलझे।
पारस्परिक समझ का वृक्ष, दमकता हुआ, सीधा और सरल।
उगता है जो ‘इसे अब मैं लेता हूँ’ नाम के वसंत में ।
जितना घना होगा जंगल, उतना ही विशाल होगा परिदृश्य, घाटी का निश्चय ही।
यदि उत्पन्न होता है कोई संदेह, दूर कर देती है हवा उसे तुरंत ही।
आती हैं प्रतिध्वनियां अनामंत्रित
और सायास व्याख्या कर जाती हैं दुनिया के रहस्यों की।
दायीं ओर है गुफा जहाँ पड़ा है अर्थ।
बायीं ओर है गहरी प्रतिबद्धता की झील।
सत्य उतराता है सतह पर टूट कर तल से।
अकम्पित आत्मविश्वास खड़ा है घाटी में सिर उठाये।
उसकी चोटी से स्पष्ट हो जाता है दृश्य चीजों के सारतत्व का।
अपने सारे आकर्षण के बावजूद द्वीप है निर्जन,
और धुंधले पदचिन्ह बिखरे हैं इस के समुद्र तटों पर।
जाते हुए समुद्र की ओर, बिना अपवाद।
मानों यहाँ तुम कर सकते हो बस इतना भर कि चलो और कूद पड़ो गहराइयों में, कभी न आने को वापस।
अथाह जीवन में।
(स्टैनिस्लाव ब्रैंज़ाक़ और क्लेयर कावनाघ के अंग्रेजी अनुवाद से।)
मृत्यु के लिए, बिना अतिशयोक्ति
यह बर्दाश्त नहीं कर सकती मज़ाक,
एक तारे को ढूढ़ो, बनाओ एक पुल।
यह कुछ नहीं जानती, बुनाई, उत्खनन और कृषि के बारे में,
नावें बनाने या रोटी पकाने के बारे में।
हमारी भविष्य की योजना में
आखिरी हैं उसके शब्द,
जो हमेशा होते हैं मूल बिंदु से हट कर।
यह कर नहीं पाती वह काम भी
जो हिस्सा हैं उसी के धंधे का:
कब्र खोदना,
ताबूत बनाना,
सफाई करना अपने स्वयं के बाद।
जान लेने में व्यस्त
अजीब ढंग से करती है यह अपना काम
बिना किसी सिस्टम या कुशलता के
जैसे हम में से हर एक था इसका पहला शिकार।
ओह, उसके हिस्से रही हैं विजयें
किंतु इसकी अनगिनत पराजयों को देखो,
चूक गए वार,
और दोबारा की गईं कोशिशें!
कभी कभी यह नहीं होती उतनी भी सक्षम
कि मार सके एक मक्खी भी हवा में।
बहुत से हैं कीड़े
जो रेंग आये हैं इससे दूर,
वे सारे कंद, फलियां,
लताएं, पंख, श्वासनलियां,
विवाह के कोमल और जाड़े के गर्म वस्त्र
दर्शाते हैं कि वह पिछड़ गयी है
अपने अनमने काम में।
इससे कुछ होगा नहीं
और युद्धों तथा तख्ता-पलट के कामों की
हमारी मदद भी
जहाँ तक है नहीं है पर्याप्त।
हृदय धड़कते हैं अंडों के भीतर,
बढ़ते हैं बच्चों के शरीर।
कठोर बीजों से भी अंकुरित हो आती हैं पहली एक जोड़ी नन्हीं पत्तियाँ,
और कभी कभी गिर जाते हैं विशाल वृक्ष भी
जो भी करता है दावा कि वह है सर्वशक्तिमान
स्वयं जीता जागता साक्ष्य है कि
नहीं है वह ऐसा।
नहीं है ऐसा कोई जीवन
जो न हो सकता हो अमर
भले ही एक क्षण के लिए।
मृत्यु
आती है हमेशा उसी एक क्षण देर से।
व्यर्थ ही यह खींचती है हत्था
अदृश्य द्वार का।
पर आ चुके हो जहाँ तक तुम
मिटाया नहीं जा सकता उसे।
(स्टैनिस्लाव ब्रैंज़ाक़ और क्लेयर कावनाघ के अंग्रेजी अनुवाद से।)
तीन सबसे विचित्र शब्द
जब मैंने उच्चारित किया शब्द 'भविष्य'
इसका प्रथमाक्षर हो चुका था अतीत की थाती।
जब उच्चारित किया मैंने 'मौन',
मैंने नष्ट कर दिया उसे।
जब मैंने उच्चारित किया शब्द 'शून्य',
मैंने सृजित किया कुछ जो नहीं समा सकता किसी शून्य में।
(स्टैनिस्लाव ब्रैंज़ाक़ और क्लेयर कावनाघ के अंग्रेजी अनुवाद से।)
सम्भाव्यताएँ
मुझे पसंद हैं फिल्में,
मुझे पसंद हैं बिल्लियाँ,
मुझे पसंद हैं वार्ता1 के किनारे के शाहबलूत।
मुझे पसंद हैं डिकेन्स, दोस्तयोवस्की की बजाय।
मैं पसंद करती हूँ अपने को लोगों को चाहना
मानवता को चाहने की बजाय।
मैं पसंद करती हूँ सुई धागा पास रखना जरूरत के लिए।
मुझे पसंद है हरा रंग।
मैं पसंद करती हूँ न मानना
कि तर्क है हर समस्या की जड़।
मुझे अपवाद पसंद हैं।
मैं पसंद करती हूँ जल्दी जाना।
मैं पसंद करती हूँ बात करना चिकित्सकों से
किसी और चीज के बारे में।
मुझे पसंद हैं पुराने महीन रेखाओं वाले चित्र।
मुझे पसंद है कविता लिखने का बेतुकापन, कविता न लिखने के बेतुकेपन की बजाय,
मुझे पसंद है जब हो प्रेम की बात, अनिश्चित वर्षगाँठे
जिनका उत्सव मनाया जा सके प्रतिदिन।
मैं नैतिकता-वादियों को पसंद करती हूँ
जो नहीं करते वादा मुझसे किसी चीज का।
मुझे पसंद है चालू दयाभाव
अतिविश्वासयुक्त के मुकाबले।
मेरी प्राथमिकता है असैनिक वस्त्रों में धरती।
मुझे जीत लिए गए लोग पसंद हैं देशों को जीतने के बजाय।
मुझे पसंद है कुछ दुराव।
मुझे पसंद है अव्यवस्था का नर्क व्यवस्था के नर्क की बनिस्पत।
मुझे पसंद हैं ग्रिमस की परीकथाएं
अखबारों के प्रथम पृष्ठों की बजाय।
मैं बिना फूलों की पत्तियों को पसंद करती हूँ
बिना पत्तियों के फूलों की जगह।
मुझे पसंद हैं बिना पूंछ कटे कुत्ते।
मुझे पसंद हैं हल्के रंग की आँखें क्यों कि मेरी हैं गहरे रंग की।
मुझे पसंद है मेज की दराजें।
मुझे पसंद हैं बहुत सी चीजें जिनका नहीं किया है मैंने यहां जिक्र।
और बहुत सी चीजें जिन्हें मैंने छोड़ दिया है अनकहा।
मुझे पसंद हैं स्वतंत्र जीरो
मुकाबले उनके जो पंक्तिबद्ध हैं पीछे किसी शून्य के।
मुझे सितारों के समय की बजाय पसंद है लघु कीटों का वक्त।
मुझे पसंद है थपथपाना लकड़ी को।
मैं पसंद करती हूँ न पूछना कि कब और कितना लगेगा समय।
मुझे पसंद है दिमाग मे रखना यह संभाव्यता कि
अस्तित्व के अपने हैं तर्क होने के।
1 . पोलैंड की एक नदी
लेखन का आनंद
क्यों यह लिखी हुई फाख्ता विचरती है इन लिखे हुए वनों में?
पीने को लिखित जल उस झरने से जो जिस की सतह जिरोक्स कर लेगी उसकी कोमल चोंच को ?
वह क्यों उठाती है अपना सिर, क्या उसने सुना कुछ?
सत्य से उधार लिए चार दुबले पैरों पर चलती
वह कर देती है अपने कान मेरी उंगलियों के पास।
'मौन'- यह शब्द भी खड़कता है पन्ने के आर-पार
और छोड़ देता है उस टहनी को
जो उग आयी है शब्द "वृक्ष" से।
प्रतीक्षारत, कूद पड़ने को तैयार पन्ने पर।
अक्षर हैं नहीं किसी काम के,
और कारकों की पकड़ इतनी आज्ञाकारी कि वे कभी न होने देंगे मुक्त।
स्याही की हर बूंद में है शिकारियों की पर्याप्त संख्या, तैयार अपने निशानों के पीछे अपनी सिकुड़ी हुई आँखों के साथ,
किसी पल ढलुवाँ कलम से आच्छादित कर देने को तैयार,
घेर लेने को फाख्ता को और धीरे से साधने को निशाना अपनी बंदूक का।
वे भूल गए हैं कि जो है यहाँ वह नहीं है जीवन।
प्राप्त करो, दूसरे कानून, काला या सफ़ेद।
मैं कहती हूँ लगेगा पलक झपकने भर का समय और, यदि मैं चाहूँ, हो जाएगा विभक्त नन्ही अनंतताओं में,
बीच उड़ान में रुकी हुई गोलियों से भरा।
कुछ भी नहीं होगा घटित जब तक मैं कहूँ न ऐसा होने को।
एक पत्ती भी नहीं गिरेगी, बिना मेरी कृपा के,
मुड़ेगी नहीं घास की एक पत्ती तक उन खुरों के नीचे रुकने पर।
तो क्या कहीं है एक दुनिया
इसके भाग्य पर है मेरा एकछत्र अधिकार?
एक अस्तित्व हो जाता है अंतहीन मेरी इच्छा मात्र से?
लेखन का आनंद।
सुरक्षित बचा लेने की शक्ति।
एक मरणशील हाथ का प्रतिशोध।
(स्टैनिस्लाव ब्रैंज़ाक़ और क्लेयर कावनाघ के अंग्रेजी अनुवाद से।)
11 सितंबर की एक तस्वीर
वे कूदे जल रही मंजिलों से--
पहली, दूसरी, कुछ और
ऊपर की, नीचे की।
तस्वीर ने रोक लिया उन्हें जीवन में,
और बनाये रखा है उन्हें अब
धरती से ऊपर धरती की ओर।
हरेक है स्थिर एकदम,
एक विशेष चेहरे के साथ
और रक्त है अच्छी तरह छिपा हुआ।
है पर्याप्त समय
बालों के बिखर जाने को,
जेबों से चाभियों और सिक्कों के
गिर जाने को।
वे हैं अभी भी हवा की पहुंच में
उन जगहों की परिधि में
जो खुली हैं बिलकुल अभी।
मैं उनके लिए कर सकती हूँ बस दो बातें
वर्णन करना इस उड़ान का
और न जोड़ना एक अंतिम पंक्ति।
सोते हुए
मैनें सपना देखा मैं ढूंढ रही हूँ कोई चीज,
जो छुपी हो किसी जगह या खो गयी हो बेड के नीचे, सीढ़ियों के नीचे या एक पुराने पते के नीचे।
मैंने तलाशा वार्डरोब में, संदूको और दराज़ों में
व्यर्थ ही भरे हुए बेकार की चीजों से।
अपने सूटकेसों से निकाले मैंने
साल और यात्राएँ जो की थीं मैंने।
मैंने निकाले अपनी जेबों से
पुराने पड़ चुके पत्र, कचरा, पत्ते जो नहीं थे मेरे नाम।
मैं हाँफ रही हूँ
आराम से, असुविधा से रखने उठाने से।
मैं भटकती रही बर्फ की सुरंगों और स्मृतिविहीनता में।
मैं अटकी रही कटीली झाड़ियों और व्यर्थ के अनुमानों में।
मैं तैरती रही हवा और बचपन की घास से होती हुई।
मैंने कोशिश की पूरा कर लेने की
इससे पूर्व कि पुरानी पड़ चुकी साँझ गिराती
पर्दा, मौन।
अंत मैंने यह जानना रोक दिया कि मैं
खोज रही थी क्या इतनी देर से।
मैं जाग गयी।
मैंने देखी अपनी घड़ी।
सपने में नही लगा था बस ढाई मिनट का भी समय।
यही हैं वो दाँव जो खेलता है समय
तब से ही जब से मैं टकराने लगी हूँ
सोते हुए सिरों से।
(स्टैनिस्लाव ब्रैंज़ाक़ और क्लेयर कावनाघ के अंग्रेजी अनुवाद से।)
अनुवादक : सम्पर्क -
sbsinghirs@gmail.com
बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteBahut hi Sundar laga.. Thanks..
ReplyDeleteदिवाली पर निबंध Diwali Essay in Hindi
Happy Diwali Wishes Hindi | Deepavali Wishes | दिवाली शुभकामनाये
दिवाली पर कविता Diwali Kavita Poetry Poem in Hindi
दिवाली पर निबंध | Diwali Nibandh | Essay on Deepawali in Hindi
bhut hi achhi jankari di hai aapne . thanks
ReplyDelete