अनुनाद

अनुनाद

अमित श्रीवास्तव की कविता

अच्छे नागरिक
***
सुबह उठते हैं
अख़बार पढ़ते हैं
अफसोस जताते हैं
शुक्र मनाते हैं ख़बर में खुद के न होने का

एक रोटी कम खाते हैं नाश्ते में
महंगाई पर टेसुए बहाते हैं
शुक्र मनाते हैं बची हुई प्लेट की रोटी का

जाम से परेशान हो हॉर्न बजाते हैं
गाली पचकाते हैं व्यवस्था पर
फिर गड्ढों से उचक कर निकल जाते हैं
शुक्र मनाते हैं बस थोड़ा सा ही लेट हो जाने का

जश्न मनाते हैं सेना की जीत का
शुक्र मनाते हैं बेटे का सेना में न होने का

अच्छे नागरिक
झुकने को कहो तो लेट जाते हैं
बैठने को कहो तो पाए बन जाते हैं
खड़े होने को कहो तो छाया मांगते हैं
बोलने को कहो तो गाते हैं
चुप रहने को कहो तो चुप्प एकदम चुप्प
मर जाते हैं

चश्मा पहनते हैं अच्छे नागरिक
उतारते हैं, पर तब तक बादल आ जाते हैं

अच्छे नागरिक ये झट से मान लेते हैं कि उनके छिनते रोजगार का कारण शरणार्थी या घुसपैठिये हैं
भ्रस्टाचार गरीबी महंगाई जिनसे आई
अच्छे नागरिक उन घुसपैठियों के कपड़े पहचानते हैं

टीवी देखते हैं
खाना खाते हैं
सो जाते हैं
बड़बड़ाते नहीं
बच्चों के सहमे हुए चेहरे देख सिहरते नहीं
गला घोंटने को उठे हाथ देख सहम नहीं जाते
अच्छे नागरिकों को रात नींद अच्छी आती है

अच्छे नागरिक अपने सपनों में शरणार्थी की तरह आते हैं
बाज दफ़ा चीखते हैं घुसपैठिये… घुसपैठिये… मारो… पीटो… भगाओ…
चीखते-चीखते गिर जाते हैं
जिससे गिरते हैं उसे बिस्तर बताते हैं
अच्छे नागरिक चरित्र सिरहाने छुपाते हैं

रोज नहाते हैं
तेल फुलेल लगाते हैं
गम-गम महकते हैं
दूर से हाथ मिलाते हैं

खांसने-छीकने-सोने-रोने के तस्दीक हो सकते हैं सारे निशान
संजो रक्खे हैं
ज़िंदा बच-बच जाने के सब सबूत
अच्छे नागरिक 
प्रोसीजर इस्टेब्लिश्ड बाई लॉ से ड्यू प्रोसेस ऑफ लॉ के बीच एक मुहर पर बनवाते हैं
ठप्प ठप्प ठप्प
लगाते जाते हैं
साँस आने का शुक्र मनाते हैं

कोई जब मांगता है सबूत
दाहिने देखते हैं बाएं देखते हैं फिर पार कर लेते हैं
शर्म के दरिया में डूब कर नहीं जाते
खुर्ररैट बाप के आगे सहमे
रटी हुई कविता सुनाते हैं

अच्छे नागरिक गुस्सा नहीं करते नागरिकता के सवाल पर
उन्हें अपनी जेबें टटोलना आता है
कुछ नाखून टूटते हैं मगर
बस उसी पल वो मूंगफलियां खाते हैं
मुस्काते हैं
अच्छे नागरिक बुरे वक्त में चुप रहना जानते हैं!

0 thoughts on “अमित श्रीवास्तव की कविता”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top