अनुनाद

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मनुष्यता का महान आख्यान : कमल जोशी/1


कमल दा से तीन-चार मुलाक़ातें थीं पर परिचय बहुत पुराना था। साथ उनकी यायावरी के कई क़िस्से थे। वे अचानक चले गए। पुलिस ने प्रथम दृष्टया इस चले जाने को आत्मघात कहा है, जांच अभी चलेगी। उनका जाना और इस तरह जाना एक सदमा है। उनके लिए जाने कितनों का दिल फफक रहा है। उनसे किताबों के आवरण के लिए चित्र मांगता था, पता न था उनके बाद उनसे इस तरह चित्र मांगने होंगे।  

इन चित्रों को चार-पांच पोस्ट्स में यहां लगाऊंगा, ताकि कुछ और लोग उस नायाब दिल को देख पाएं, जो केवल कमल दा के पास था। वे फोटोग्राफर नहीं, विचारक थे। उनकी वैचारिकी का पता उनकी ये तस्वीरें बेहतर देती हैं। पढ़िए मनुष्यता के उस महान आख्यान को, जिसे कमल जोशी अपनी तस्वीरों में लिख गए हैं।

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 ……अगली पोस्ट में जारी




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