नरेश सक्सेना की कविता : कत्लगाहों की तरफ़ फुसलाते शब्द -आशीष मिश्र
ठंड से नहीं मरते शब्द वे मर जाते हैं साहस की कमी से केदारनाथ सिंह के इन शब्दों को आलोचना के सन्दर्भ में देखना रोचक
ठंड से नहीं मरते शब्द वे मर जाते हैं साहस की कमी से केदारनाथ सिंह के इन शब्दों को आलोचना के सन्दर्भ में देखना रोचक
इस दुनिया में रात भर जागती है कोई स्त्री इसी दुनिया में कोई कोई पागल प्रेम कर बैठता है सरल, लगभग अभिधात्मक दीखते वाक्यों के
कवि की औपचारिक अनुमति से हिंदी में पहली बार अनूदित ये कविताएं प्रिंट में जनसत्ता में आई थीं, (वैसे ये अनुवाद मूलत : kritya international poetry
स्तनपान के बारे में वैज्ञानिक शोध चाहे कितनी सकारात्मक बातें कहें पूरी दुनिया में युवा शहरी और कामकाजी स्त्रियों में इसको लेकर नकार का भाव बढ़ता
सोशल मीडिया पर रहने दौरान अचानक मेरा ध्यान नेत्र सिंह असवाल जी की टाइमलाइन पर गया। वहां हिंदी और उर्दू कवियों की कविता के गढ़वाली
प्रशान्त की कविताएं समकालीन युवा कविता संसार में केन्द्रों के बरअक्स सीमान्तों की हूक की तरह हैं। उन्हें पढ़ना दूर-दराज़ के इलाक़ों को पढ़ने जैसा
समकालीन कविता-संसार में विपिन चौधरी का हस्तक्षेप बख़ूबी पहचाना गया है। अनुनाद पर विपिन की उपस्थिति के ये लिंक पाठकों के लिए – 1.आत्मकथ्य और
कृष्णा सोबती का होना हिंदी कथा जगत की उपलब्धि है। अनुनाद की साथी कवि विपिन चौधरी ने उन पर अपना आत्मीय लेख हमें सौंपा है।
अदनान कफ़ील दरवेश हिंदी कविता के इलाक़े में नया नाम है। मैंने सोशल मीडिया पर उनकी दो-तीन कविताएं पढ़ीं और उनसे कविताओं के लिए अनुरोध
राकेश रोहित ने पिछले कुछ समय में निरन्तर मूल्यवान कविताएं लिखी हैं। प्रकृति के गझिन रूपकों और उदात्त मानवीय भावनाओं के बीच उनकी भाषा ने