स्मरण में है आज जीवन : वसुंधरा ताई कोमकली – संदीप नाईक
“जब होवेगी उम्र पुरी, तब टूटेगी हुकुम हुजूरी, यम के दूत बड़े मरदूद, यम से पडा झमेला” (पंडित स्व कुमार गन्धर्व की पत्नी पदमश्री वसुंधरा
“जब होवेगी उम्र पुरी, तब टूटेगी हुकुम हुजूरी, यम के दूत बड़े मरदूद, यम से पडा झमेला” (पंडित स्व कुमार गन्धर्व की पत्नी पदमश्री वसुंधरा
जबकि हमारी अपनी ही स्मृतियां निर्जनता के कगार पर खड़ी हैं, अशोक तीन बुज़ुर्गों से कविता में संवाद कर रहा है। यहां तीन अलग लोग
हमें कविताओं से क्या मिलता है कोई जीडीपी में बढ़त दर्ज करता है तो कैसे करता है जबकि हम कविता से बर्फ़ीली सर्दियों में जुराबों
दख़ल प्रकाशन से आयी लवली गोस्वामी की किताब ‘प्राचीन भारत में मातृसत्ता और यौनिकता (भारतीय मिथकों का पुनर्पाठ)’ चर्चा में है।कवि का स्वागत और इन
अनुनाद पर पहले कभी अनिल कार्की के अनुवादों के सहारे नेपाली कविता छपी थी। एक बड़े अंतराल के बाद अब चन्द्र गुरूङ्ग की कविताएं यहां
मुझे यक़ीन है कि पानी यहीं से निकलेगा गाँव भीतर गाँव बरसों पहले ग्वालियर रेड़ियो के निदेशक ने मुझसे पूछा था, ‘ ओम जी आपकी
संतोष कुमार चतुर्वेदी की नयी कविताएँ, अनुनाद के पाठकों के लिए। हां, इनमें सांसद/विधायक सीट वाली कविता इससे पहले पहल में छप चुकी है और
सौ पुश्त से है पेश:-ए-आबा सिपहगरी कुछ शाइरी ज़रीय:-इज़्ज़त नहीं मुझे ग़ालिब के दीवान को उलटते-पलटते हुए मुझे एक बात महसूस होती रही है कि
फ्रेडी ग्रे अमेरिका के मेरीलैंड राज्य के बाल्टीमोर में 12 अप्रैल 2015 को गैरकानूनी तौर पर ऑटोमेटिक चाकू रखने के आरोप में एक 25 वर्षीय अश्वेत
अरुण लेखन की शुरूआत से ही मुझे हमेशा अपनी कविताओं में बांधते रहे हैं, पर उनकी कविताओं ने इधर एक अलग स्वर पा लिया है।