Friday, June 19, 2015

इमरजेंसी : एक पारंपरिक रूपक - प्रस्तुति : विकासनारायण राय



राजा बोला रात है
रानी बोली रात है
मंत्री बोला रात है
संत्री बोला रात है

यह सुबह-सुबह की बात है

3 comments:

  1. इसी बात को हमारी मां कुछ इस तरह सुनाती हैं-
    एक दिन राजा ने कहा बैंगन बहुत भला है,
    हमने भी झट कह दिया सर पर ताज धरा है
    एक दिन राजा ने कहा बैंगन बहुत बुरा है,
    हमने भी झट कह दिया बेगुन नाम धरा है।

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  2. वाह, बहुत खूब

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  3. आपातकाल पर सरल ,संक्षिप्त ,सटीक कविता

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