प्रांजल और वेगवान कविताएं : विमलेश त्रिपाठी के नए कविता संग्रह पर ब्रज श्रीवास्तव
‘ इधर की कविता का असली चेहरा तो वो है जिसका सौन्दर्य शास्त्र थोड़ा अलग है,अगर इस कविता ने बिना रस,छंद, अलंकर, यति,गति,आदि के अपनी
‘ इधर की कविता का असली चेहरा तो वो है जिसका सौन्दर्य शास्त्र थोड़ा अलग है,अगर इस कविता ने बिना रस,छंद, अलंकर, यति,गति,आदि के अपनी
सोनी पांडेय उन कवियों में हैं, जिनसे मैं फेसबुक पर मिला। वहां उनके बारे में बस इतना जाना कि वे गृहिणी हैं, शिक्षण कार्य करती
समकालीन अच्छे दिनों की निरर्थकता के बरअक्स नए दिनों की स्थापना देते ये कवि साथी अरुण देव हैं। उनकी कविताएं बताती हैं कि अपने नज़दीक
मुझे नहीं पता शाहनाज़ जी कब से कविताएं लिख रही हैं पर अब वे हिंदी की सुपरिचित कवि हैं। अपनी पढ़त के हिसाब से कहूंगा
रेखांकन : कुंवर रवीन्द्र विमलचन्द्र पांडे का जीवट से भरा गद्य सैकड़ों में पहचाना जाता है और वही गद्य जब कविता के शिल्प में ढलता
फेसबुक सूचना के अनुसार आज हमारे मित्र कथाकार विवेक मिश्र का जन्मदिन है। 15 अगस्त को जन्म लेना एक आज़ाद तबीयत की ओर इशारा करता
(राहुल देव युवा समीक्षक हैं। अभी उन्होंने असुविधा ब्लॉग पर आत्मारंजन के कविता संग्रह पर बहुत सधी हुई समीक्षा लिखी है। अनुनाद पर वे पहली
तुषार का दूसरा संग्रह : दख़ल प्रकाशन ये शरद की रातें हैं (मित्र कवि शिरीष कुमार मौर्य की इसी शीर्षक की कविता पर चित्र बनाते