सुबह की नब्ज पर- सांस्कृतिक -कलात्मक आन्दोलन की राह में माया एंज़ेलो
विपिन चौधरी की लिखी जीवनी मैं रोज़ उदित होती हूं :माया एंजेलो का विद्रोही जीवन से एक अंश 1950 के दशक के अंत में माया
विपिन चौधरी की लिखी जीवनी मैं रोज़ उदित होती हूं :माया एंजेलो का विद्रोही जीवन से एक अंश 1950 के दशक के अंत में माया
शैलजा पाठक की ये कविताएं मेल में मिलीं। इन्हें पढ़ना शुरू किया तो लगा एक अनगढ़ वृत्तान्त के कई सिरे खुलते जा रहे हैं। यह
इस अनुक्रम का पहला शोधालेख जितेन्द्र कुमार ने लिखा है, जिसे इस लिंक पर पढ़ा जा सकता है। अंग्रेजी के ‘फोक’ शब्द का हिंदी
लोक की अवधारणा को बिलकुल नए अध्येता अब मिल रहे हैं। मेरे दो विद्यार्थी जितेन्द्र कुमार और शिव प्रकाश त्रिपाठी इसी सत्र में शोध के
कमल जीत चौधरी हिंदी की युवतर कविता में अब एक ख़ूब जाना-पहचाना नाम है। हिंदी की बड़ी पत्रिकाओं ने ख़ुद को जब बड़े या अधिक
वैद्यनाथ मिश्रा,यात्री या फिर सबसे प्रसिद्ध व लोकप्रिय नाम बाबा नागार्जुन हिंदी एवम् मैथिली साहित्य के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध नाम हैं|उनका साहित्य के क्षेत्र