अशोक कुमार पांडेय की नई कविताएं अशोक का दूसरा संकलन अभी आया ही है कि उसकी इधर की कविताओं के शिल्प में फिर एक नई तोड़-फोड़ दिखाई देने लगी है। कविता Read More » April 23, 2014
इतिहास जहाँ पर चुप हो जाता है, कविता बोलती हैै : केशव तिवारी के नए कविता संग्रह ‘तो काहे का मैं’ पर महेश पुनेठा का आलेख कवि का रेखाचित्र : कुंवर रवीन्द्र लोकधर्मिता, न गाँव के दृश्य या घटनाओं को कविता में लाना भर है ,न पेड़-पत्ती-फूल की बात करना मात्र Read More » April 8, 2014