अमित श्रीवास्तव की एक कविता – आओ करके देखें
कविता में प्रयोग एक पुराना पद है। कभी-कभी वह नए आशय के साथ प्रकट होता है तो ध्यान खींचता है। दुनिया बदल गई है। पुरानी
कविता में प्रयोग एक पुराना पद है। कभी-कभी वह नए आशय के साथ प्रकट होता है तो ध्यान खींचता है। दुनिया बदल गई है। पुरानी
पता नहीं मेरी लिखत-पढ़त की सीमा है या फिर दुनिया के ग्लोबल विलेज बनने में ही कसर छूट गई है कि चन्द्रेश्वर पांडेय जैसे पुराने
शैलजा पाठक अब युवा कविता में एक सुपरिचित नाम हैं। बतकही का अंदाज़ और उसमें भरपूर नास्टेल्जिया के साथ आता, कभी-कभी अतिरेकी भी लगता भावसंसार
देवेन्द्र आर्य हिंदी ग़ज़ल का सुपरिचित नाम हैं लेकिन अनुनाद को उनकी एक कविता हासिल हुई है। इस कविता में आते हुए नाम ही इसके
इस समीक्षा का मूल रूप ‘पक्षधर’ में छपा है। यहां इसे संशोधन (समीक्षक के शब्दों में काफ़ी जोड़-घटाव) के उपरान्त पुन:प्रकाशित किया जा रहा है।
शायक आलोक से मुलाक़ात का माध्यम फेसबुक है। इस नौजवान की कविता ने मुझे बहुत शुरूआत से अपनी ओर खींचा। अनुनाद पर पहली बार फेसबुक
निराला की लम्बी कविता ‘राम की शक्तिपूजा’ की नाट्य प्रस्तुति के लिए सुपरिचित युवा कवि व्योमेश शुक्ल और रंगमंडल ‘रूपवाणी’ इन दिनों चर्चा में है।
जिन दिनों कर्ज़ नेमत हों और फ़र्ज़ कुफ़्र, उन दिनों यानी इन दिनों की इस कविता में शिल्प की हर सरहद को उलांघ देने की
परिकल्पित कथालोकांतर काव्य-नाटिका नौरात,शिवदास और सिरी भोग वगैरह (दिवंगत अग्रजों शैलेश मटियानी और गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ को किंचित क्षमा-याचना के साथ याद करते हुए, सादर)
प्रौढ़ कवियों के युवा कहलाने के दौर में राहुल देव एक नौउम्र कवि हैं। युवा कविता के सैलाब में कुछ अन्तर्धाराएं हैं, जिनके जल का