वंदना शुक्ल की दो नई कविताएं
मेरे लिए वंदना शुक्ल का नाम आज की कविता में कुछ अलग तरह से लिखनेवाले कवियों में हैं। उनकी भाषा, कविता का बाहरी और भीतरी
मेरे लिए वंदना शुक्ल का नाम आज की कविता में कुछ अलग तरह से लिखनेवाले कवियों में हैं। उनकी भाषा, कविता का बाहरी और भीतरी
आज की आलोचना विशेषकर व्यवहारिक आलोचना का एक बड़ा संकट है-उसे न पढ़े जाने का।विडंबना यह है कि इसका कारण इसके लिखे जाने में
It is midnight I keep awake, all by myself To see the midnight colors, they Have silent is vibrant and Rhythm eloquent- The midnight colors-
(इस लेख को मेल द्वारा भेजते हुए सूचित किया गया है कि इसे मूलत: जनसत्ता के लिए लिखा गया था किन्तु जनसत्ता सम्पादक द्वारा यह
अविनाश मिश्र अब युवा हिंदी कविता का ख़ूब परिचित नाम हैं। कविता में उनका स्वर अपनी उम्र से बहुत आगे का स्वर है। अनुभव-संसार की
कैसा प्रेम स्त्री ने पूछा, कैसा प्रेम? पुरुष ने कहा, किसान सा! शिकारी सा नहीं, बेरहमी से जो ख़त्म करते हैं, अपनी चाहत को. किसान,