अनुनाद

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समकालीन कविता के कोनों और हाशियों की ओर ध्यान खींचती आलोचना – महेश चंद्र पुनेठा

                                            आज की आलोचना विशेषकर व्यवहारिक आलोचना का एक बड़ा संकट है-उसे न पढ़े जाने का।विडंबना यह है कि इसका कारण इसके लिखे जाने में

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अहम्मन्य हुलफुल्लेपन के [अंतर्]राष्ट्रीय दुष्परिणाम – विष्‍णु खरे

(इस लेख को मेल द्वारा भेजते हुए सूचित किया गया है कि इसे मूलत: जनसत्‍ता के लिए लिखा गया था किन्‍तु जनसत्‍ता सम्‍पादक द्वारा यह

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अविनाश मिश्र की कविताएं

अविनाश मिश्र अब युवा हिंदी कविता का ख़ूब परिचित नाम हैं। कविता में उनका स्‍वर अपनी उम्र से बहुत आगे का स्‍वर है। अनुभव-संसार की

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अनुज कुमार की कविताएं

कैसा प्रेम स्त्री ने पूछा, कैसा प्रेम? पुरुष ने कहा, किसान सा! शिकारी सा नहीं, बेरहमी से जो ख़त्म करते हैं, अपनी चाहत को. किसान,

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