Thursday, September 19, 2013

के पी सिंह के कम्‍प्‍यूटर कविता वालपेपर

के पी सिंह नामक एक सज्‍जन ने  मुझे आठ कविता वालपेपर अपनी इस टिप्‍पणी के साथ भेजे हैं - ''इस तरह फोटोशाप वाले पोस्‍टर हाथ के बने पोस्‍टरों के सामने दरअसल कोई स्‍थान नहीं रखते, वे आन्‍दोलन की तरह होते थे। पर शायद इस तरह के पोस्‍टर कम्‍प्‍यूटर के वालपेपर की तरह ही काम आ जाएं। मैंने खुद फेसबुक से ऐसे कई पोस्‍टर लेकर वालपेपर बना रखे हैं। उन्‍हीं से ऐसा जुगाड़ करने की प्रेरणा मिली। इन्‍हें भी अपने लैपटाप पर वालपेपर की तरह प्रयोग करने के लिए ही बना रहा हूं।'' मुझे ये पोस्‍टर बहुत सरल भाषा में कहूं तो सुन्‍दर लगे। इनमें रघुवीर सहाय की दो, वीरेन डंगवाल की एक, गिरिराज किराड़ू की एक, बल्‍ली सिंह चीमा की एक और मेरी तीन छपी-अनछपी कविताएं हैं। अशोक और केशव भाई के हवाले से सुना है कि के पी सिंह आजकल ही फेसबुक पर प्रकट हुए हैं और काफी हलचल मचाए हुए हैं। ख़ैर अब वो मेरी गली नहीं रही। इन पोस्‍टर्स को मूल बड़े आकार में देखने के लिए इमेज पर क्लिक कीजिए। 

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के पी सिंह से krishnapratapsingh2013@yahoo.com पर सम्‍पर्क किया जा सकता है, इसी मेल आई डी ये पोस्‍टर्स मुझे मिले हैं। इस मेल में यह भी लिखा है कि जल्‍द और कई सारे पोस्‍टर्स मुझे भेजेंग।

2 comments:

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