अनुनाद

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इस बस्ती का नाम मुआनजोदड़ो नहीं था -अशोक कुमार पांडेय की नई कविता

साथी कवि अशोक कुमार पांडेय ने अपने पहले संग्रह ‘लगभग अनामंत्रित’ के बाद कहन का रूप कुछ बदला है। उसकी कविता में वैचारिक बहस की

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लमही वतन है: व्योमेश शुक्ल

प्रेमचंद की याद में व्‍योमेश शुक्‍ल का यह लेख प्रतिलिपि से साभार १ लमही वतन है। दूसरी जगहें गाँव घर मुहल्ला गली शहर या जन्मस्थल होती

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सुषमा नैथानी की छह कविताएं

सुषमा नैथानी की कविताएं लम्‍बे अंतराल के बाद अनुनाद पर आ रही हैं। वे उन कवियों में हैं, जिन्‍हें अनुनाद उपलब्धि की तरह देखता रहा

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एक देश और मरे हुए लोग -विमलेश त्रिपाठी की लम्‍बी कविता

युवा कवि विमलेश त्रिपाठी की यह कविता अनुनाद पर लम्‍बी कविताओं के प्रसंगों का एक महत्‍वपूर्ण अंग बनने जा रही है। मैं विमलेश को शुक्रिया

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कमल जीत चौधरी की नई कविताएं

कमलजीत चौधरी कमल जीत चौधरी मेरे लिए अग्निशेखर के बाद कविता में जम्‍मू की एक अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण किन्‍तु अलहदा आवाज़ है। हिन्‍दी में सीमान्‍तों की

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पांच कविताएं : स्‍थायी होती है नदियों की याददाश्‍त , मुश्किल दिन की बात ,सुबह हो रही है ,किसी ने कल से खाना नहीं खाया है और सांड़

स्‍थायी होती है नदियों की याददाश्‍त कितनी बारिश होगी हर कोई पूछ रहा है कुछ पता नहीं हर कोई बता रहा है बारिश तो बारिश

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