मेरे जीवन में-मन में वह एक-अकेला औघड़ बाबा – संस्मरण प्रगतिशील हिंदी कविता का वह परम औघड़-ज़िद्दी यात्री, जिसे नागार्जुन या बाबा कहते हैं, मेरे जीवन में पहली बार आया तब मैं आठवीं में पढ़ता Read More » April 30, 2013
कविता जो साथ रहती है 4: प्रभात की कविता : गिरिराज किराड़ू विस्थापन और ‘आत्म’बोध की दूसरी कथा अपनों में नहीं रह पाने का गीत उन्होंने मुझे इतना सताया कि मैं उनकी दुनिया से रेंगता आया मैंने Read More » April 28, 2013
समय के बंजर में ज़मीन पर बारिश उगाता कवि : केशव तिवारी की कविता पर युवा आलोचक सुबोध शुक्ल केशव तिवारी मेरे बहुत प्रिय कवि हैं, जिनकी कविता के महत्व पर बातचीत मुझे हमेशा हमारी आज की कविता के हित में बहुत ज़रूरी लगती Read More » April 24, 2013
आशुतोष दुबे की कविताएं अनुनाद पर निरन्तर काम करते रहने का सुफल कभी-कभी यूं भी मिलता है जैसे मेरे प्रिय कविमित्र आशुतोष दुबे ने अपनी छह कविताएं अभी अचानक Read More » April 19, 2013
विजय सिंह की नई कविताएं : विशेष प्रस्तुति विजय सिंह अपनी उत्कट लोक प्रतिबद्धता के कारण हिंदी कविता में एक सुपरिचित नाम हैं। उन्हें लिखते कई बरस हुए। उनके लिए अपना जिया हुआ Read More » April 5, 2013