अनुनाद

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मेरे जीवन में-मन में वह एक-अकेला औघड़ बाबा – संस्‍मरण

प्रगतिशील हिंदी कविता का वह परम औघड़-ज़िद्दी यात्री, जिसे नागार्जुन या बाबा कहते हैं, मेरे जीवन में पहली बार आया तब मैं आठवीं में पढ़ता

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कविता जो साथ रहती है 4: प्रभात की कविता : गिरिराज किराड़ू

विस्थापन और ‘आत्म’बोध की दूसरी कथा अपनों में नहीं रह पाने का गीत उन्होंने मुझे इतना सताया कि मैं उनकी दुनिया से रेंगता आया मैंने

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समय के बंजर में ज़मीन पर बारिश उगाता कवि : केशव तिवारी की कविता पर युवा आलोचक सुबोध शुक्‍ल

केशव तिवारी मेरे बहुत प्रिय कवि हैं, जिनकी कविता के महत्‍व पर बातचीत मुझे हमेशा हमारी आज की कविता के हित में बहुत ज़रूरी लगती

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आशुतोष दुबे की कविताएं

अनुनाद पर निरन्‍तर काम करते रहने का सुफल कभी-कभी यूं भी मिलता है जैसे मेरे प्रिय कविमित्र आशुतोष दुबे ने अपनी छह कविताएं अभी अचानक

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