अनुनाद

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एकदिन स्त्री चल देती है चुपचाप …दबे पाँव – कमाल सुरेया, अनुवाद एवं प्रस्‍तुति – यादवेन्‍द्र

कमाल सुरेया (1931-1990)   एक दिन स्त्री चल देती है चुपचाप …दबे पाँव  कोई स्त्री रिश्तों को निभाने में सहती है बहुत कुछ ..मुश्किलें  उसका दिमाग,दिल

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अच्‍युतानन्‍द मिश्र की कविताएं

बहुत उम्‍मीद जगाने, भरोसा बढ़ाने वाले युवा कवि-साथियों में अच्‍युतानन्‍द मिश्र का नाम ख़ास तौर पर लिया जाना चाहिए। अनुनाद को उनकी कविताएं मिलीं हैं,

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पंखुरी सिन्‍हा की कविताएं

बातों का पुलिंदा सब सच नहीं है, अभिलेखागार के कागजों में, प्रमाण सिर्फ कागज़ का होना है, उसकी बातों का सच नहीं, हज़ार चिट्ठियां हैं,

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