कविता जो साथ रहती है / 2 – विनोद कुमार शुक्ल की कविता : गिरिराज किराड़ू
कवि की तस्वीर रविवार से साभार गिरिराज किराड़ू ने अपने स्तम्भ की दूसरी कविता के रूप में विनोद कुमार शुक्ल की कविता का चयन किया है, जो
कवि की तस्वीर रविवार से साभार गिरिराज किराड़ू ने अपने स्तम्भ की दूसरी कविता के रूप में विनोद कुमार शुक्ल की कविता का चयन किया है, जो
प्रशान्त प्रशान्त मेरे लिए परिचित कवि नहीं रहे हैं अब तक। कुछ कविताएं मैंने ब्लागपत्रिकाओं में पढ़ी हैं। उनकी यह लम्बी कविता मुझे साथी अनुनादी
हिंदी कविता की परम्परा में बहुत समर्थ और विचार के लिए अत्यन्त स्वप्नशील कवियों ने भी जीवन में कभी न कभी हताशा, बेबसी, उदासी और
अपने रचनात्मक सहयोग के साथ यादवेन्द्र अनुनाद के सबसे निकट के साथी हैं। वे हमारी अनुनाद मंडली के सबसे वरिष्ठ साथी भी हैं, उन्हें मैं
तुषार धवल तुषार हमारे समय का बहुत महत्वपूर्ण युवा कवि है। वो बेहद आत्मीय हमउम्र साथी है इसलिए चाहकर भी मैं उसके लिए सम्बोधन के
वंदना शुक्ला वंदना शुक्ला की ये कविताएं मुझे उनके मेल द्वारा मिलीं। इन कविताओं की कवि हिंदी के आभासी संसार के अलावा सभी प्रतिष्ठित
सल्वादोर डाली : गूगल इमेज से साभार नवीन सागर की कविता उनके प्रस्थान के बाद भी बची हुई है, बची रहेगी। मुझे बार-बार कहना पड़ता