अनुनाद

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कविता जो साथ रहती है / 2 – विनोद कुमार शुक्‍ल की कविता : गिरिराज किराड़ू

कवि की तस्‍वीर रविवार से साभार  गिरिराज किराड़ू ने अपने स्‍तम्‍भ की दूसरी कविता के रूप में विनोद कुमार शुक्‍ल की कविता का चयन किया है, जो

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प्रशान्‍त की लम्‍बी कविता- आधा रास्‍ता

प्रशान्‍त  प्रशान्‍त मेरे लिए परिचित कवि नहीं रहे हैं अब तक।  कुछ कविताएं मैंने ब्‍लागपत्रिकाओं में पढ़ी हैं। उनकी यह लम्‍बी कविता मुझे साथी अनुनादी

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सपने में होना भी होना है होने जैसा – अशोक कुमार पांडे की नई कविता

हिंदी कविता की परम्‍परा में बहुत समर्थ और विचार के लिए अत्‍यन्‍त स्‍वप्‍नशील कवियों ने भी जीवन में कभी न कभी हताशा, बेबसी, उदासी और

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मणिपुर की अद्वितीय मुक्केबाज कोम को संबोधित दो कविताएं – यादवेन्‍द्र

अपने रचनात्‍मक सहयोग के साथ यादवेन्‍द्र अनुनाद के सबसे निकट के साथी हैं।  वे हमारी अनुनाद मंडली के सबसे वरिष्‍ठ साथी भी हैं, उन्‍हें मैं

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तुषारधवल की नई लम्‍बी कविता – ठाकुर हरिनारायण सिंह

तुषार धवल तुषार हमारे समय का बहुत महत्‍वपूर्ण युवा कवि है। वो बेहद आत्‍मीय हमउम्र साथी है इसलिए चाहकर भी मैं उसके लिए सम्‍बोधन के

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वंदना शुक्‍ला की कविताएं

वंदना शुक्‍ला   वंदना शुक्‍ला की ये कविताएं मुझे उनके मेल द्वारा मिलीं। इन कविताओं की कवि हिंदी के आभासी संसार के अलावा सभी प्रतिष्ठित

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कविता जो साथ रहती है / 1 : नवीन सागर की कविता पर गिरिराज किराड़ू

सल्वादोर डाली : गूगल इमेज से साभार  नवीन सागर की कविता उनके प्रस्‍थान के बाद भी बची हुई है, बची रहेगी। मुझे बार-बार कहना पड़ता

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