अनुनाद

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अनिल पुष्‍कर की कविताएं

फेसबुक से इन दिनों साहित्‍य की दुनिया में आवाजाही बढ़ी है। अनुनाद ने फेसबुक से कुछ प्रस्‍तुतियां की हैं..अब उसी दुनिया में मिले और मित्र

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नीलोत्‍पल की कविताएं

नीलोत्‍पल  नीलोत्‍पल की कविता का अनुनाद को इंतज़ार था। तीन साल पहले मेरा ध्‍यान उनकी कविता की ओर गया। ये कविताएं बहुत चौंकाती नहीं थीं

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कुमाऊंनी कविता की दशा -दिशा के बहाने – अनिल कुमार कार्की

कुमाऊंनी कविता की दशा-दिशा के बहाने  गिर्दा यह  कुमाऊंनी कविता के बदलते हुए प्रतिमान और शिल्प की बात है।  जब भी कुमाऊंनी कविता की भंगिमा

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थोड़ी-सी निजता से बाहर ढेर सारी जगह (सुषमा नैथानी की कविताएं) – शिरीष कुमार मौर्य

सुषमा नैथानी मूलत: जीन-विज्ञानी हैं। नैनीताल में उसी विश्‍वविद्यालय में पढ़ी हैं, जिसमें मैं भी पढ़ा हूं और अब पढ़ाने की जिम्‍मेदारी निभा रहा हूं।

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मोनिका कुमार की एक कविता और उस पर बहस : फेसबुक विशेष

कुछ दिन पहले प्रतिलिपि ब्‍लाग पर मोनिका कुमार की कुछ कविताएं प्रकाशित हुईं। कविताओं के साथ एक लम्‍बी टिप्‍पणी भी गिरिराज किराड़ू ने दी और प्रस्‍तुति

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जलसा-2 : देवीप्रसाद मिश्र

देवीप्रसाद मिश्र का लेखन समकालीन हिंदी संसार की एक उपलब्धि है। उनके यहां काव्‍यभाषा का गद्य में घुल जाना कविता को तो अलग रूपाकार देता

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यादवेन्‍द्र की तीन कविताएं

यादवेन्‍द्र जी अनुनाद के सच्‍चे संगी-साथी हैं। उन्‍होंने विश्‍वकविता से कुछ बहुत शानदार अुनुवाद अनुनाद को दिए हैं। वे अनुनाद के सहलेखक हैं पर ख़ुद

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कवि व्‍योमेश शुक्‍ल द्वारा निर्देशित नाटक ‘कामायनी’ से कुछ छवियां

व्‍योमेश शुक्‍ल समकालीन हिंदी कविता और आलोचना का सुपरिचित नाम है। कम लोग जानते हैं कि वे रंगकर्म में भी गहरी दिलचस्‍पी और भागीदारी रखते

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