अनुनाद

अनुनाद

मृत्‍युजंय के पद – विपद

1.
साधो, भ्रष्टन के कंह लाज !
चाल चरित्र चित्र सब चकचक, चौचक चपल समाज
कर्नाटक की कुञ्ज गलिन में, किलकत हैं बेल्लारी, येदुरप्पा के पदचिन्हन पर सदानंद की बारी
अडवानी के परम दुलरुवा, सुषमा दीन्हा राज, बरन-बरन के खनिज मंगाए, बांह गाहे की लाज
लूटत, खात, अघात परसपर साधत हैं सब काज, देशभक्ति के नव परिभाषा संघ गढ़त है आज
कलि कराल में भ्रष्ट महासुख, भ्रस्टन ही कै राज, साखामृग इतराय फिरें सब, यही बात कै नाज़

2.
साधो, रामदेव बलिहारी !
जनता पिटी, भागि गै बबवा, करमन की गति न्यारी
झूठहिं खाय झूठ ही भाखै झूठहिं करि असनान, हरिद्वार में काटै बंधू जन-गण-मन कै कान
पूछे कोऊ जो कहं से बाबा पायो धन की खान, बाबा के धुकधुकी बढे औ मंद परतु है प्रान
मन्त्रिन संग कै साठ-गाँठ भै प्रायोजित मोमेंट, मंत्री रूठा, बाबा भागा छोड़-छाडि के टेंट
शीर्षासन कै अनत महासुख नीरोगी ह्वै काया, मस्तक कै उपचार करो कोई बाबा बिलहिं लुकाया

3.
साधो , दिल्ली का दरबार !
कामन जन का वेल्थ लूटि कै हत्या कै ब्योपार
चारो धाम चतुर्दिक हल्ला जग्य भया भरभंड, कलमाडी बौराया घूमै काहे दीन्हा दंड
किया धरा जा के कहिबे पर, शाल ओढि कश्मीरी, मुस्काती वही घूमि टहरि अब छांटि रही है पीरी
दस जनपथ जै जै राहुल जै सोनिया माता जै जै, हमहीं नाहिं चोराया मुरगा, ऊहो था, ऊहो है
खसी शाल, मूरति मुसुकाई आशीष देती माई, कछु दिन धीरज धरहु तात फिर लैहों बैंड बजाई

4.
साधो, सही निशाना साधो !
काले धन की उजली है मति, अबिगत की गति जानो !
कौन कौन पैसेवाला है कौन बैंक में खाता, कौन कौन है इसके पीछे पाग खोल बिछ जाता
वही बनावै लोकपाल, वहि है विपक्ष वहि नेता, वहि है सत्ता, शासन वहि है, वहि मंत्री अभिनेता
नई आर्थिक नीति बतावै वही सजावै सेज, संसद बहस बीच वहि तोरै माइक कुर्सी मेज
सौ फन सौ जबान से बोलै इ है तक्षक नाग, चहुँ दिस से लुक्कारा थामो चलो जराएं आग

5.
साधो, अन्ना को समझाते !
वृक्ष पुरातन जड़ नहिं काटत, पत्ता तोरत जाते
लोकपाल पे भूखे बैठे, बहुत दिनन से संत, देखो भईया यहि कनून कै अब नियराया अंत
मनमोहन अति चतुर मदारी सिब्बल डमरूधारी, श्याम रंग अति चतुर बंदरिया संसद फंसद सारी
लोकपाल से क्या होगा, जब कूपहि में है भांग, गले गले सब डूब रहे हैं, देशभक्ति का स्वांग
अन्ना बाबा, आओ दिल्ली 100 घंटा घेराव, नई आर्थिक नीति उखाड़ो, यहि भवसागर नाव

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