अरुण आदित्य की दो कवितायेँ
क़ालीन गर्व की तरह होता है इसका बिछा होना छुप जाती है बहुत सारी गंदगी इसके नीचे आने वाले को दिखती है सिर्फ आपकी संपन्नता
क़ालीन गर्व की तरह होता है इसका बिछा होना छुप जाती है बहुत सारी गंदगी इसके नीचे आने वाले को दिखती है सिर्फ आपकी संपन्नता
अभी कई दिनों बाद आलोक जी का फोन आया। पिछली कई बातचीतों में मैं उन्हें छूटी हुई कविता की दुहाई दिया करता था। आज उन्होंने
आंख के बेहद ज़रूरी अन्दरूनी हिस्से मेये एक शहर हैजो कभी कभी एक दर्द भी हैरीढ़ का..यहांभयानक काले दिन के बादएक हिचकी के साथ खूब
एक क़स्बे मेंबिग बाज़ार की भव्यतम उपस्थिति के बावजूद वह अब तक बची आटे की एक चक्की चलाता हैबारह सौ रुपए तनख्वाह पर लगातार उड़ते
पंडिज्जी ने कहा तो कहा मगर रहने दो इस खेत को पूजापाठ की सूई निकाल नहीं पाती कलेजे का हर कांटा बाढ़ में बह तो
चन्द्रकांत देवताले की कविता माँ के लिए संभव नहीं होगी मुझसे कविता अमर चींटियों का एक दस्ता मेरे मस्तिष्क में रेंगता रहता है माँ वहाँ
इंडोनेशिया की नयी पीढ़ी के सबसे चर्चित कवियों में शुमार किये जाते हैं एगुस सर्जोनो.देश की सांस्कृतिक हलचलों के केंद्र बांडुंग नगर में 1962 में