आजकल न मैं किसी उत्सव में शामिल हूँ
न किसी शोक में
न किसी रैली-जुलूस में
किसी सभा में नहीं
न किसी बाहरी ख़ुलूस में
मैं आग में शामिल हूँ आजकल
लाल-पीली-नीली हुई जाती लपटों में नहीं
भीतरी धुंए में
जलती हुई आँखें मलता मैं सूर्यास्त में शामिल हूँ
जिसके बारे में उम्मीद है
कि कल वह सूर्योदय होगा !
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वाह....आजकल मैं भी
ReplyDeleteवाह!! मेरे अन्दर भी धुआं उठता रहा है पिछले कुछ दिनों
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteमैं आग में शामिल हूँ आजकल.......स्वयं के पास होने जैसा हैं.
ReplyDeleteबढ़िया ....