अनुनाद

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कनाडा की नेटिव कविता- हलिजो वेबस्टर: अनुवाद एवं प्रस्तुति -यादवेन्द्र

धराशायी होने तक का इन्तजार मैं जोर जोर से चिल्ला रही हूँ पर कोई नहीं है जो सुने मेरी बात मैं नाच रही हूँ निर्वस्त्र

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सभ्यता के उजाड़ कोनो में कवितायें बेआवाज़ पड़ी रहती हैं – बसंत त्रिपाठी की दो कविताएं

बेआवाज़ पत्तियों के झरने की आवाज़ की आवाज़ होती है हवा धीमी आवाज़ के साथ बहती है चूजे अण्डों से निकलकर मचाते हैं शोर फूलों

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अहमद फ़ोयेद नेगम की कविता – अनुवाद एवं प्रस्तुति : यादवेन्द्र

1929 में एक पुलिसकर्मी के घर में जन्मे अहमद फोएद नेगम मिस्र के अत्यंत लोकप्रिय विद्रोही जनकवि हैं जिनके जीवन का बड़ा हिस्सा एक के

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