अनुनाद

अनुनाद

सिर्फ हम : एलिस वाकर


सिर्फ हम कर सकते हैं सोने का अवमूल्यन
बाज़ार में
उसके चढ़ने या गिरने की
परवाह न करके.
पता है, जहाँ भी सोना होता है
वहां होती है ज़ंजीर
और आपकी ज़ंजीर अगर है
सोने की
तो और भी बुरा.

पंख, सीपियाँ
समुद्री कंकड़-पत्थर
सब उतने ही दुर्लभ हैं.

यह हो सकती है हमारी क्रान्ति:
जो बहुतायत में है उसे भी
उतना ही प्यार करना
जितना दुर्लभ से.

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उपन्यास ‘दि कलर पर्पल‘ एलिस वाकर का मैग्नम-ओपस है जिसके लिए उन्हें पुलित्ज़र पुरस्कार मिला था. इस उपन्यास पर स्टीवन स्पिलबर्ग ने इसी नाम की एक फिल्म भी बनाई थी. अनेकों कविता संग्रह और उपन्यास प्रकाशित हैं. नवीनतम कविता संकलन ‘हार्ड टाइम्स रिक्वायर फ्यूरियस डांसिंग’ हाल ही में आया है. कालों के नागरी अधिकारों के लिए 1963 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर के साथ वाशिंगटन पर मार्च करने से लेकर 2003 में अन्य साथी लेखकों-बुद्धिजीवियों के साथ व्हाईट हाउस के सामने युद्ध विरोधी प्रदर्शन करने में शामिल रही हैं.


0 thoughts on “सिर्फ हम : एलिस वाकर”

  1. अद्भुत … सोने को लेकर इतनी सहजता से इतना विस्तृत वितान…वाह…भारत भाई इनकी और कवितायें पढ़वाईये

  2. मेरी डिरेल की हुई अनुनाद की गाड़ी को आप हर कितनी खूबसूरती से पटरी पर लाते हैं भारत भाई…..आपका साथ एक उपलब्धि है….ये कविता कितना कुछ कह गई अपने छोटे से शिल्प में. शुक्रिया दोस्त.

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