
सिर्फ हम कर सकते हैं सोने का अवमूल्यन
बाज़ार में
उसके चढ़ने या गिरने की
परवाह न करके.
पता है, जहाँ भी सोना होता है
वहां होती है ज़ंजीर
और आपकी ज़ंजीर अगर है
सोने की
तो और भी बुरा.
पंख, सीपियाँ
समुद्री कंकड़-पत्थर
सब उतने ही दुर्लभ हैं.
यह हो सकती है हमारी क्रान्ति:
जो बहुतायत में है उसे भी
उतना ही प्यार करना
जितना दुर्लभ से.
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उपन्यास 'दि कलर पर्पल' एलिस वाकर का मैग्नम-ओपस है जिसके लिए उन्हें पुलित्ज़र पुरस्कार मिला था. इस उपन्यास पर स्टीवन स्पिलबर्ग ने इसी नाम की एक फिल्म भी बनाई थी. अनेकों कविता संग्रह और उपन्यास प्रकाशित हैं. नवीनतम कविता संकलन 'हार्ड टाइम्स रिक्वायर फ्यूरियस डांसिंग' हाल ही में आया है. कालों के नागरी अधिकारों के लिए 1963 में मार्टिन लूथर किंग जूनियर के साथ वाशिंगटन पर मार्च करने से लेकर 2003 में अन्य साथी लेखकों-बुद्धिजीवियों के साथ व्हाईट हाउस के सामने युद्ध विरोधी प्रदर्शन करने में शामिल रही हैं.
अद्भुत … सोने को लेकर इतनी सहजता से इतना विस्तृत वितान…वाह…भारत भाई इनकी और कवितायें पढ़वाईये
ReplyDeleteवाह.. जो बहुतायत में है उससे भी प्यार करना... क्या बात है. धन्यवाद. महेश वर्मा, अंबिकापुर,छ ग
ReplyDeleteजो बहुतायत मे है वह भी प्यारा है! यानि कि हम सब भी.
ReplyDeleteमेरी डिरेल की हुई अनुनाद की गाड़ी को आप हर कितनी खूबसूरती से पटरी पर लाते हैं भारत भाई.....आपका साथ एक उपलब्धि है....ये कविता कितना कुछ कह गई अपने छोटे से शिल्प में. शुक्रिया दोस्त.
ReplyDelete"मैग्नम-ओपस" को अनुवाद में शाहकार कहें?
ReplyDeleteशाहकार संज्ञा पुं० [फ़ा०] किसी कलाकार की सर्वोत्तम कृति [को०]।