अनुनाद

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उस अलाव से कुछ बच ही निकलता है : मार्टिन एस्पादा

उस अलाव से कुछ बच ही निकलता है

विक्टर और जोअन हारा के लिए

I.क्योंकि हम कभी नहीं मरेंगे: जून 1969

विक्टर गा उठा हलवाहे की प्रार्थना अपनी
लेवंताते, य मिराते लास मानोस.
उठो और निहारो अपने हाथों को
रूखी त्वचा के दस्ताने पहने, विक्टर के पिता के हाथ
पत्थर हो गए हल चलाती मुट्ठियों की तरह.
इस्तादियो चीले ने लगाया जयकारा, बेसुध उस आदमी की
तरह जिसे पता है कि उसने आखिरी बार हल है चलाया
किसी और के खेतों में, जो सुनता है वह गीत कि जिसमें
कही जा रही है वह बात, जिसे वह न जाने कब से
अपनी गर्दन के निचले हिस्से पर ढोए जा रहा है.

 

जोअन. नर्तकी, जो भीड़ के सामने झूमा करती
उन्हीं झुग्गी बस्तियों में जहाँ विक्टर गाया करता
अपनी कुर्सी पर बैठे बैठे आगे को झुकी यह सुनने:
नवगीत महोत्सव का पहला इनाम विक्टर हारा को.
ये वो रातें हैं जब हम सोते नहीं
क्योंकि हम कभी नहीं मरेंगे.
फिर कैसे वह अँधेरे में तिरछी निगाह डाले,
सबसे आखिरी सीट से भी पीछे कहीं, अपनी गिटार उठाये,
गा सकता है: हम साथ-साथ जायेंगे, आपस में जुड़े हुए खून से,
इस घड़ी और हमारी मौत के पहर में. आमीन.

 

II. वह आदमी जिसके पास है सभी बंदूकें: सितम्बर 1973
तख्ता-पलट हुआ, और सैनिकों ने कोड़े लगाये राज्य के दुश्मनों को
हाथ सिर पर और कतारबद्ध, स्टेडियम के फाटकों से होकर.
दण्डित चेहरों ने अपने खून का उजाला बहाया इस्तादियो चीले
के दालानों में. उजाला बहता है वहाँ अब भी.
हत्यारों का भी था अपना उजाला, भुतहा सिगरेटें
हर गलियारे में टिमटिमातीं, खासकर प्रिंस,
या जैसा कि कैदी उस भूरे अफसर को कहते
जो ऐसे मुस्कुराता जैसे उसके दिमाग में गाते हों गिरजे.

 

जब गलियारे में विक्टर फिसल पड़ा
छाती से चिपके गठरी बन बैठे उन हजारों घुटनों से दूर
जो इंतजार कर रहे थे अपनी गर्दन पर सिगरेटों का
या घूरती मशीन-गनों को वापिस घूर रहे थे.
विक्टर मिला प्रिंस से, अपने दिमाग में सुन रखा होगा गाना उसने,
क्योंकि पहचान गया वह गायक का चेहरा, झनझना दी हवा
और उंगली से चीर दिया उसके गले को.
प्रिंस ऐसे मुस्कुराया जैसे वो हो वह आदमी जिसके पास है सभी बंदूकें.

 

बाद में, जब जाना दूसरे कैदियों ने
कि उनके कन्धों पे नहीं लगे हैं पर
जो उड़ा ले जाएँ उन्हें फाइरिंग दस्तों से दूर,
विक्टर ने गाया “वेंसेरेमोस‘”, हम फतहयाब होंगे,
और प्रतिबंधित उस तराने से ऊँचे उठ गए कंधे
चीख-चीख कर प्रिंस का चेहरा पड़ गया लाल जब.
जब उसकी अपनी चीख शांत न कर सकी उस तराने को
जो उसकी नसों से धड़कता हुआ पहुँच रहा था उसके दिमाग तक,
प्रिंस ने सोचा, कि मशीन गनें तो कर ही देंगी.
III. गर फ़क़त विक्टर: जुलाई 2004
तोड़ दो हरेक घड़ी इस्तादियो चीले पर पटक कर
इस जगह, विक्टर की आखिरी साँस
से गिने जाते हैं इकतीस साल. एक लम्हा,
जैसे मोमेंटो में, आखिरी गीत का आखिरी लफ्ज़
जो उसने लिखा था फेफड़ों के छत्ते में
गोलियों के घुस पड़ने से पहले.


उसकी आँखें अब भी जलती हैं. जीभ अब भी जम जाती है उसकी.

फिर हेलीकाप्टर गरजते हैं जोअन के लिए,
बजता है फौजी संगीत हर रेडियो स्टेशन पर,
रोटी की क़तार में औरतों को राइफल के हत्थे से ठेलते हैं सैनिक.
वह फिर पाती है अपने शौहर की लाश मुर्दाघर में
गंदे कपड़ों के ढेर की तरह पड़ी लाशों के बीच
और उठाती है उसका टूटा हुआ लटकता हाथ अपने हाथों में
जैसे कि नाच शुरू करने वाली हो कोई.

 

हाँ, जहाँ उसे मारा गया था उस स्टेडियम को अब उसका नाम दे दिया गया है
हाँ, लॉबी की समूची दीवार के पत्थरों में उसके शब्द हैं बहते
हाँ, आज रात चीनी नट यहाँ दिखायेंगे कलाबाजियाँ,
वह फिर भी फाड़ डालेगी वह बैनर जिस पर उसका नाम सजा है
उसके शब्दों की दीवारें तोड़ डालेगी हथौड़े से
और पसरा देगी नटों को रास्तों पर
गर फ़क़त विक्टर हो जाए दाखिल कमरे में
इस बहस को अंजाम देने
कि क्यों वह इतना धीरे चलता है सुबह सुबह
कि उसने जोअन को क्लास के लिए देरी करवा ही दी लगभग.



IV. उस अलाव से कुछ बच ही निकलता है: जुलाई 2004

सान्तियागो के दक्षिण में, इस्तादियो विक्टर हारा से दूर
तम्बू के नीचे जहाँ खड़खड़ाती है टाट बारिश की कीलों से
तख्ता-पलट के बरसों बाद पैदा हुए एक लड़का और लड़की
मंच पर एक कुर्सी के सहारे झुकते हैं अपनी आँखों में भर लेने को एक-दूसरे के चेहरे.
कैसेट घरघराता है, और विक्टर की आवाज़
जले हुए कागज़ की तरह चक्कर खाती हुई उठती है छत की ओर
प्रेमी के मौन का गाया जाना उन नर्तकों के लिए
जो अपने शरीरों के प्रतान को सीधा करते हैं.

 

उस अलाव से कुछ बच ही निकलता है
जिस पर अपने हाथ सेंका करते हैं सेनानायक
जले कागज़ के अंगारे, दफन कर दिए गए टेप-रिकार्ड
ख़ामोशी में गूंजती हुई आवाजें
जैसे हों अदृश्य जीव पानी से भरे गिलास में
नर्तकी कैसे झूमती जाती है उस संगीत पर जो गूँज रहा सिर में
तनहा मगर कुहनी पर उँगलियों की छुअन की है सिहरनें.*******

चीले में सल्वादोर आयेंदे (Salvador Allende) की लोकतांत्रिक पद्धति से सत्ता में आई समाजवादी सरकार के खिलाफ 11 सितम्बर 1973 को हुए अमेरिका-समर्थित सैन्य विद्रोह के दूसरे ही दिन लोकगायक और राजनीतिक कार्यकर्त्ता विक्टर हारा को गिरफ्तार कर लिया गया था. चार दिनों तक यातनाएँ देने के बाद 15 सितम्बर को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई. ‘उत्तरी अमेरिका के पाब्लो नेरुदा’ कहे जाने वाले मार्टिन एस्पादा की यह कविता उनकी पुस्तक ‘रिपब्लिक ऑफ़ पोएट्री’ में संकलित है. कविता के पहले दो अंश विक्टर की पत्नी जोअन हारा (Joan Jara) की पुस्तक विक्टर: एन अनफिनिश्ड सॉन्ग (Victor: An Unfinished Song, Bloomsbury,1998) में दिए गए विवरण पर आधारित हैं. तीसरा अंश जुलाई 2004 में सान्तियागो में इस्तादियो विक्टर हारा में कवि की जोअन हारा के साथ हुई बातचीत पर आधारित है. पहले अंश में विक्टर हारा के गीत ‘प्लेगारिया उन लाब्रादोर‘ (हलवाहे की प्रार्थना) की एक पंक्ति मूल स्पैनिश में उद्धृत की गई है. “वेंसेरेमोस” (हम फतहयाब होंगे) जिसका ज़िक्र तीसरे अंश में आया है, यूनिदाद पॉपुलर (Unidad Popular अर्थात जन एकता) गठबंधन और आयेंदे सरकार का कौमी तराना था. स्पैनिश में इस्तादियो का अर्थ है स्टेडियम; और तीसरे अंश में उल्लेखित ‘मोमेंटो'(क्षण) दरअसल विक्टर हारा द्वारा लिखे गए अंतिम गीत का अंतिम शब्द है क्योंकि वाक्य पूरा होने से पहले उनपर गोलियाँ चला दी गई थीं. ऊपर की तस्वीर में विक्टर और जोअन हारा अपनी बेटियों अमांडा और मैन्युएला के साथ हैं.

0 thoughts on “उस अलाव से कुछ बच ही निकलता है : मार्टिन एस्पादा”

  1. आखिरी गीत का आखिरी लफ्ज़
    जो उसने लिखा था फेफड़ों के छत्ते में
    गोलियों के घुस पड़ने से पहले !

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