Friday, August 27, 2010

बेट्सी का क्या कहना है : पैट्रीशिया स्मिथ



बेट्सी का क्या कहना है

1965 में हरिकेन बेट्सी ने बहामा और दक्षिण फ्लोरिडा से होकर लुइज़िआना तट पहुंचकर न्यू ओरलेंस को जलमय कर दिया. तूफ़ानी उन चार दिनों में 75 लोग मारे गए थे.


ज़रा नज़ाकत नहीं. फुसफुसाहट तो तुमने जानी
ही नहीं, क्यों छोकरी?

इरादा उसे चारों खाने चित करने
का नहीं था, कटरीना,
तुम्हें बस चूमना था ज़मीन को
बस छुआने थे तुम्हारे कड़कते होंठ
और छोड़ देना था उसे हकलाता, आतंकित
तुम्हारे ख़याल भर से. बजाय इसके,

कमबख्तों की तरह तुम
गरजती फिरीं, अपनी भुजाएँ,
और डरावने अयाल लहराते हुए
तुम्हारी भुक्खड़ आँख का भोजन बनाने
रूहों को ऊपर उठाते हुए.

लगा था मैंने तुम्हें अच्छी तालीम दी है, लड़की.
सही तरीका सिखाया था तुम्हें उस शहर से मुहब्बत करने का,
उसका दिल तोड़ने का
और तुमसे कुछ और चपत पाने के लिए
उसे तड़पता छोड़ देने का.

तो अगर मुझे मिटाने का यह तुम्हारा तरीका था,
मुझे एक कड़े सबक से बारिश की बूँद में बदल देने का
तो यह तुमने बहुत भद्देपन से किया, मिर्ची. हाँ, मुझे मज़ा आया था

उस लम्हे में खुदा हो जाने का. पर तुम्हारी तरह नहीं,
उतावली छोकरी, मैंने पीछे छोड़ी थी अपनी छाप.
मैंने तो बस उन्हें मारा जो मेरे रास्ते में आये.

*******

(पाकिस्तान के बाढ़-पीड़ितों के दुख में शिरकत करते हुए और हरिकेन कटरीना की पाँचवी बरसी पर न्यू ओरलेंस में मारे गए लोगों की स्मृति में यह कविता, पैट्रीशिया स्मिथ के संकलन 'ब्लड डैज़लर' से.)

3 comments:

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  2. बहुत सुन्दर कविता है और इस नए तरीके से बात करना मुझे खूब भाता है. पूरी कविता एक त्रासदी को बड़े ही अलग शिल्प से ब्यान करती है ... भारत भूषण जो को धन्यवाद

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  3. shrish jee
    bharat bhushan jee
    namaskar !
    shabdanjali ke liye aabhar !naye roop me samne aayi hai ,
    saadar !

    ReplyDelete

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