होने के प्रमाण
मंगलेश जी के बग़ैर दृश्य की कल्पना नहीं की जा सकती और यह सिर्फ़ साहित्यिक दृश्य नहीं है. यह जीवन, संघर्ष और सौन्दर्य का दृश्य है. यह मेरी ज़िन्दगी का दृश्य है. यह बात कितनी भी भावुक या अजीब लग सकती है लेकिन मंगलेश जी को समझने के बाद कोई दिन ऐसा नहीं गुज़रा जिसमें उनकी याद या उनका ख़याल या उनके होने के दूसरे एहसास न हों. लेखक और मनुष्य के तौर पर मैं और मुझ जैसे कई लोग उनके बग़ैर संभव ही नहीं थे. मेरा और हमारा लेखक होना उनके होने का प्रमाण है या उनके होने की व्युत्पत्तियाँ. आगे पढ़ने के लिए क्लिक करें.....

आज हमारे प्यारे मंगलेश दा का जन्मदिन है ...मैं इस तारीख़ को कभी नहीं भूलता....दरअसल मुझे सिर्फ़ तारीख़ ही याद रहती है...और इस हिसाब से मेरा बेटा उनसे एक दिन बड़ा साबित होता है... ऐसा सोचना भी मुझे अच्छा लगता है...और ऐसे ही मैं उन्हें याद करता हूँ हर साल बिना उन्हें बताये....
ऊपर दिया लिंक अनुराग वत्स के ब्लॉग का है और पंक्तियाँ व्योमेश शुक्ल की...दोनों का आभार ... और ये अनुनाद की चार सौवीं पोस्ट ...जिसे इस तरह संभव करना मेरे लिए एक आत्मीय और निजी राग है।
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मंगलेश जी को जन्म-दिन की शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteमंगलेश जी को जन्मदिन की शुभकामनायें ..और आपके ब्लॉग की चार सौवीं पोस्ट के लिए आपको बधाई...आपकी कविता बहुत पसंद आई ..सबद पर...
ReplyDeleteमुबारकबाद...
ReplyDeleteमंगलेश जी को बधाई एवं शुभकामनाएँ.
ReplyDeletejanmadin par mangalkamnaen.
ReplyDeleteअरे वा! यह सूचना तुम्हारे माध्यम से मिली कि आज मंगलेश जी का जन्म दिन है । मैं फोन लगाने की कोशिश कर रहा हूँ । फिरभी मेरी बधाई पहुंचा देना भाई ।
ReplyDeleteबहुत बधाई!
ReplyDeleteमंगलेश जी को मुबारकबाद !
ReplyDeleteमंगलेश जी को जन्मदिन की हार्दिक बधाईयां…यह सच है कि उनके बिना परिदृश्य की कल्पना नहीं की जा सकती…अप्रतिम कवि-गद्यकार!!
ReplyDeleteबहुत सारी बधाइयाँ....हिंदी में बुजुर्ग कवियों की संख्या बढ़ रही है......
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