अनुनाद

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संजय व्यास की कविता – दूसरी किस्त

घर गृहस्थी में धंसता पुराना प्रेम पत्र (एक काव्यकथा) ” श्री गोपीवल्लभ विजयते” बम्बोई(तिथि अस्पष्ट) प्यारी सुगना, मधुर याद. श्री कृष्ण कृपा से मैं यहाँ

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होमलैंड सिक्योरिटी : बफ़ व्हिटमन-ब्रॅडली

होमलैंड सिक्योरिटीघंटे दर घंटे दिन प्रतिदिन एअरपोर्ट सुरक्षाकर्मी खड़ी रहती है एक्सरे मशीन के पास बगल से गुज़रते भूतों को मॉनिटर पर देखते हुए तह

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स्त्रियों की खिलखिलाहटें – लाइज़ेल म्यूलर / अनुवाद तथा प्रस्तुति : यादवेन्द्र

स्त्रियों की खिलखिलाहटेंधू धू कर जला देती हैं अन्याय के महल चौबारेऔर झूठी मनगढ़ंत कहानियाँइनमे तप कर सुन्दर सफ़ेद दीप्ति से निखर जाती हैं…ये संसदीय

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संजय व्यास की कविता – एक

मैं अनुनाद के लिए जिन कवियों की कविता हासिल करना चाहता रहा हूँ…संजय उनमें से एक हैं। इस बार काफ़ी संकोच के बाद अंततः उन्होंने

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पुराने दोस्त

वेन गोग़ की पेंटिंग गूगल से साभार पुराने दोस्त याद आते हैं पुराने दोस्त स्मृतियों में रहते हैं मेरा जीवन तीन चौथाई स्मृतियों से बना

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