पता नहीं क्यों ...... पर आज ये एक अटपटी और बेहद निजी पोस्ट... इस थोड़ी-सी कैफ़ियत के साथ...१९९९ के बसंत में मित्र से जीवनसाथी बनने जा रही सीमा हर्बोला ने तय किया था कि शादी महिला दिवस के दिन करेंगे ....कोर्ट में अर्ज़ी लगायी पर एस० डी० एम० काशीपुर-नैनीताल को (जो कोर्ट मैरिज़ कराया करते थे) बाजपुर की किसी चीनी मिल में आग लग जाने के कारण अचानक वहाँ भागना पड़ा ....इस तरह हमारे हिस्से का महिला दिवस एक दिन आगे खिसक गया....इस दिन के हासिल के रूप में एक तस्वीर नीचे लगा रहा हूँ और एक कविता भी ..... जो मेरे संग्रह 'पृथ्वी पर एक जगह में' संकलित है......और हाँ... इस पोस्ट की प्रेरणा है प्यारे दोस्त भारतभूषण का वह मेल....जो सुबह सुबह ५ बजे मेरे इनबाक्स में पहुँच चुका था।

किसी पके हुए फल सा
गिरा यह दिन
मेरे सबसे कठिन दिनों में
उस पेड़ को मेरा सलाम
जिस पर यह फला
सलाम उस मौसम को
उस रोशनी को
और उस नम सुखद अँधेरे को भी
जिसमे यह पका
अभी बाक़ी हैं इस पर
सबसे मुश्किल वक़्तों के निशाँ
मेरी प्यारी !
कैसी कविता है यह जीवन
जिसे मेरे अलावा
बस तू समझती है
तेरे अलावा बस मैं !
गिरा यह दिन
मेरे सबसे कठिन दिनों में
उस पेड़ को मेरा सलाम
जिस पर यह फला
सलाम उस मौसम को
उस रोशनी को
और उस नम सुखद अँधेरे को भी
जिसमे यह पका
अभी बाक़ी हैं इस पर
सबसे मुश्किल वक़्तों के निशाँ
मेरी प्यारी !
कैसी कविता है यह जीवन
जिसे मेरे अलावा
बस तू समझती है
तेरे अलावा बस मैं !
***
Shirish, tumse kabhi milnaa nahi huaa, puraane dino mein,
ReplyDeletePar seemaa harbolaa naam mujhe kuchh sunaa sunaa saa kyun lag rahaa hai?
Anyway Congratulations to both of you. I hope your son is not angry with you that he was not there to participate in your marriage. My children say that they do not remember so I am tricking them.
आपकी इतनी खूबसूरत कविता भरे जीवन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामना . यूँ ही लिखते रहें .....
ReplyDeleteशिरीष जी आपके लयात्मक जीवन की झलक बता रही है जैसे कि मुक्ति से शुरुआत की है आपने . बहुत बधाई !!
ReplyDeleteमेरी ओर से आज के दिन के लिए बहुत सारी सुभ कामनाएँ और बधाई
ReplyDeletekhub bolti hui aur khubsurat kavita isliye bhi adhik sarthak ho rahi hai ki iske sath juda hua aakhyan shirish ki tamam kavitaon ke marm ki gatha kah rahi hai...
ReplyDeleteaap dono ko dher sari badhaiyan mitr...
yadvendra
इस अनुपम पल को इस कविता ने वैसा ही बने रहने दिया है.कि इसका भाव स्मृति में भी छीजता नहीं है.
ReplyDeleteशुभकामनाएं.
मेरी प्यारी !
ReplyDeleteकैसी कविता है यह जीवन
जिसे मेरे अलावा
बस तू समझती है
तेरे अलावा बस मैं !
_______
खूबसूरत कविता
बधाई आप दोनों को और हमें भी कि इस बहाने हमें सीमा हर्बोला जी के भी दर्शन हुए.
ReplyDeleteaur mere pyaron apki ye kavita aisi hi bane rahe jise ap donon bakhoobi samjhte rahen aur hamesha naya samjhne ke liye banta-bachta bhi rahe
Kamal hai Shirish ji...jeevan bhi kavita jaisa hi hai aapka aur kavita jeevan jaisi. Bahut bahut badhai!
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