मुझे याद है अपने बचपन और बाद में अपने छोकरेपन किंवा छिछोरपन में हम गाँव(नौगाँवखाल) भर से लकड़ी का सामान चोरी कर होली में जला दिए करते थे और गाँव भर की गाली खाते थे...ये आदत अब भी गयी नहीं और गाँव भर की तो नहीं पर दो साथियों की गाली शायद खानी पड़े..... पर यारो बुरा ना मानो होली है ......और मानो तो मानो ... होली है.......... 

एम० एफ़० हुसैन की पेंटिंग की चोरी धीरेश सैनी के ब्लॉग से
निराला की इस होली की चोरी प्रेमचंद गांधी के ब्लॉग से
नयनों के डोरे लाल गुलाल-भरी खेली होली !
प्रिय-कर-कठिन-उरोज-परस कस कसक मसक गई चोली,
एक वसन रह गई मंद हँस अधर-दशन अनबोली
कली-सी काँटे की तोली !
मधु-ऋतु-रात मधुर अधरों की पी मधु सुधबुध खो ली,
खुले अलक मुंद गए पलक-दल श्रम-सुख की हद हो ली--
बनी रति की छवि भोली!
***
आन लाइन रहने का फ़ायदा...
ReplyDeleteअहा क्या चोरी और है !
और क्या होली है !!!!
आपको तथा आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ.nice
ReplyDeleteहोली पर आप तो चोरी कर रहें लेकिन बंधु अपने ब्लाग से ताला खोलकर हमें भी तो इसे करने का एक दुलर्भ अवसर दें।
ReplyDeleteवैसे चोरी बेहतरीन है और इसके लिए ढेर सारी शुभकामानाएं
होली पर हार्दिक शुभकामनाएं. पढ़ते रहिए www.sansadji.com सांसदजी डॉट कॉम
ReplyDeleteहोली का यह अंदाज़ भी खूब भाया...
ReplyDeleteये रंग भरा त्यौहार, चलो हम होली खेलें
ReplyDeleteप्रीत की बहे बयार, चलो हम होली खेलें.
पाले जितने द्वेष, चलो उनको बिसरा दें,
खुशी की हो बौछार,चलो हम होली खेलें.
आप एवं आपके परिवार को होली मुबारक.
-समीर लाल ’समीर’
ye chori
ReplyDeleteaur ye seena jori
dono achchhi lagi.
holi ki shubh kaamnayen.
आपसे पहले पेंण्टिंग चुरा के बज़ पर लगा दी थी :-)बड़े आये चोर! कविता लिखिये वही कर सकते हैं सलीके से………………बुरा न मानो होली है!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteajee bhai jaan, chor main thahra. maine hi do saal pahle kisi site se uthakar apne blog par nazeer keekavita ke sath chipka dee thee. is baar mujhe ye jyada prasangik lagi. phir chori kaisi, maine tokhud mail bhi kee thi ap logon ko. aur anunad par main khud chah raha tha hussain par kuchh jay, chuppi theek nahi.
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