औरतों की दुनिया में एक आदमी
वे दुखों में लिथड़ी हैंऔर प्रेम में पगीदिन-दिन भर खटीं किसी निरर्थक जांगर मेंबिना किसी प्रतिदान केरात-रात भर जगीं उनके बीच जाते हुएडर लगता हैउनके
वे दुखों में लिथड़ी हैंऔर प्रेम में पगीदिन-दिन भर खटीं किसी निरर्थक जांगर मेंबिना किसी प्रतिदान केरात-रात भर जगीं उनके बीच जाते हुएडर लगता हैउनके
दुखांत मेरे लिए दुखांत नाटक का सबसे मार्मिक हिस्साइसका छठा अंक है जब मंच के रणक्षेत्र में मुर्दे उठ खड़े होते हैं अपने बालों का
कविता की किताबकल की सुबह के बारे में कल वाले कल के पहले वाले कल ही सोच लिया जाना चाहिए यह सोचते हुए कल सोचा
यह मेरे पिता की कविता है, कमाल की बात ये कि इसे उन्होंने 63 वर्ष की उम्र में लिखा है। उनके अतीत में बहुत पीछे
1 हवा है एक अंधी माँ लाशों के ऊपर सेलड़खड़ाती गुज़रती कफ़न भी नहींबादलों को बचाओ तो सही मगर कुत्ते हैं बहुत ज्यादा तेज़ 2
१९२५ में जन्मे बख्तियार वहाब्ज़ादे अजरबैजान के सबसे प्रसिद्द कवियों में शुमार किये जाते हैं.अजरबैजान की आज़ादी के लिए सोविएत संघ से अलग होने की
सीता नहीं मैं तुम्हारे साथ वन-वन भटकूँगीकंद मूल खाऊँगीसहूँगी वर्षा आतप सुख-दुखतुम्हारी कहाऊँगीपर सीता नहीं मैंधरती में नहीं समाऊँगी। तुम्हारे सब दुख सुख बाटूँगीअपना बटाऊँगीचलूँगी
नवनीता देवसेन राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाषा और साहित्य के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित और आदरणीय नाम है. यह उनकी जबर्दस्त बहुआयामी प्रतिभा ही है कि
(महाकवि नाज़िम हिकमत की कालजयी कविता यादवेन्द्र जी के सुन्दर अनुवाद में पढ़ने के बाद बारी है जॉन बर्जर के इस निबंध की. हिकमत की
इस पोस्ट के साथ प्रतिभा कटियार अनुनाद की टीम का हिस्सा बन रही हैं। अनुनाद परिवार की ओर से मैं उनका स्वागत करता हूँ। ब्लॉग