ख़ुद को परिभाषित करती स्त्री : कुछ बिम्ब / ईरानी कविता
ईरान की आधुनिक कविता ख़ुद को परिभाषित करती स्त्री : कुछ बिम्ब ईरान की युवा कवियत्रियों को मैं यहाँ पहले भी प्रस्तुत कर चुका हूँ.इस
ईरान की आधुनिक कविता ख़ुद को परिभाषित करती स्त्री : कुछ बिम्ब ईरान की युवा कवियत्रियों को मैं यहाँ पहले भी प्रस्तुत कर चुका हूँ.इस
राजदूत थकी हुई और चुप उपेक्षा के बरामदे में वह खड़ी हैअपने रोज़ मद्धिम होते कालेपन मेंजैसे कहती हुई बहुत साथ दिया तुम्हारा अब बसमुझे
7 मई, 1979 को (बलरामपुर, उ.प्र.) में। शिक्षा : बी.एस.सी., एम.ए.(हिन्दी), डी.एम.एल.टी. प्रशिक्षण। युवा कवि, चित्रकार, कला समीक्षक; लोक विधाओं में विशेष रुचि। तद्भव, नया
आत्मपरिचय पता नहीं ये परिचय भी कितना परिचय है, पर कम से कम इसकी तथ्यपरक शिनाख्त हो सकती है। मूलत: उत्तराखंड से. स्नातक (B. Sc.)
1 डेनिस ब्रुटुस के बारे में अमेरिकी खेल पत्रकार डेव ज़िरिन लिखते हैं- ही शेम्ड दि शेमलेस. 1964 में तोक्यो में हुए ओलम्पिक खेलों से
मेदी लोकितो १९६२ में जनमी इंडोनेशिया की आधुनिक काव्य धारा की चर्चित कवि हैं . दो बच्चों की माँ लोकितो चीनी मूल की इंडोनेशियाई कवि
अनुवाद और प्रस्तुति – यादवेन्द्र साल के पहले दिन ग्वेंडोलिन ब्रुक्स की एक कविता लगायी थी —उसी समय मैंने मित्रों से वायदा किया था की
पिछले दो सालों में अशोक कुमार पांडे की कविता ने मुझे लगातार आकर्षित किया है। उनके पास मुझे ख़ास तरह की इच्छाशक्ति दिखाई दी है,
अमित की इस कविता को मैंने तीन विशेषण समझ बूझ कर दिए. दरअसल मैं इस कविता पर एक लम्बी टिप्पणी भी देना चाहता था पर
एक प्रिज़्म, लड़ाइयों से तर यह अध्याय है विध्वंस का यह हमारा नखलिस्तान है है एक कोण जहाँ लड़ाइयाँ आपस में मिलती हैंज़ालिम इकट्ठा होते