अनुनाद

अनुनाद

All Blogs

काव्य-कथा : बोरहेस और हिमालयाः टुनाईट आयम नॉट ए मंक / गिरिराज किराड़ू

(पिछले दिनों मैंने देखा ऑल जस्टीफाईड छपी हुई, ‘गद्य’ ‘दिखती’ हुई कवितायें वेब पर प्रकाशित होने पर कुछ लोगों को लगा यह कोई ‘नयी’ तरह

Read More »

मेरे समय में रोना

यह कविता प्रतिलिपि में प्रकाशित हुई है तथा पिकासो की यह विख्यात पेंटिंग यहाँ से साभार ! एक बच्चा सड़क पर रोता-रोता जाता थापीछे मुड़कर

Read More »

आओ,पर्चे बांटें – लाल्टू की एक कविता

आओ, पर्चे बांटेंआओ, पर्चे बांटेंउन कविताओं केजिन्हें न जाने कब से हमने नहीं लिखाउन सभी ख़तरनाक कविताओं केपर्चे बांटेंजिनमें हैं सभी प्रतिबंधित शब्दहैं जिनमें कोलाहलहै

Read More »

अगन बिंब जल भीतर निपजै!

यह कविता पिछले दिनों प्रतिलिपि में यहाँ छपी है। एक क़स्बे मेंबिग बाज़ार की भव्यतम उपस्थिति के बावजूद वह अब तक बची आटे की एक

Read More »

उम्मीद और नाउम्मीदी के बीच एक छोटा-सा “या” (शैलेय का कविकर्म) – शिरीष कुमार मौर्य

(यह समीक्षानुमा छोटा लेख अनुनाद पर लगाए जाने से पहले एक-दो पत्रिकाओं में छप चुका है) शैलेय के कविता संकलन पर लिखना मेरे लिये समीक्षा

Read More »

काला राक्षस- तुषार धवल की लम्बी कविता और उस पर वीरेन डंगवाल की टिप्पणी

“तुषार धवल की कविता ‘काला राक्षस ‘ को पढ़ते हुए मुझे कई बार मुक्तिबोध– खासकर उनकी ‘अँधेरे में’ की याद आई — और कभी बंगला

Read More »

बोधिसत्व की कविता

बोधिसत्व समकालीन हिंदी कविता के महत्वपूर्ण कवि माने जाते हैं। कविता में अपनी शुरूआत उन्होंने आलोचना में कुछ बेहद प्रभावशाली कविताओं से की थी और

Read More »

माँ के लिए अपवित्र पंक्तियाँ – किम्फाम सिंह नॉन्गकिनरिः खासी कविता

यह कविता प्रतिलिपि से – गिरिराज किराडू के प्रति आभार के साथ। अनुवादक – तरुण भारतीय आर के नारायन मर गए आज की रात, उदास

Read More »
error: Content is protected !!
Scroll to Top