अनुनाद

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सीरिया से लीना टिब्बी की एक कविता : चयन तथा प्रस्तुति – यादवेन्द्र

लीना टिब्बी १९६३ में सीरिया की राजधानी दमिश्क में जन्मी और अनेक देशों में (कुवैत, लेबनान, यूनाईटेड अरब अमीरात , साइप्रस, ब्रिटेन, फ्रांस, मिस्र इत्यादि) घूमते समय बिताया। आधुनिक अरबी कविता की पहचानी हुई कवियित्री। अनेक संकलन प्रकाशित,१९८९ में पहला कविता संकलन छापा और २००८ में आखिरी। एक साहित्यिक पत्रिका का कई अंकों तक संपादन किया और अख़बारों में कालम भी लिखे। विश्व की अनेक प्रमुख भाषाओं में (स्पेनिश, अंग्रेजी, फ्रेंच, इटालियन, जर्मन और रुसी) में कविताओं के अनुवाद प्रकाशित हुए। हिंदी में संभवतः उनकी कविताओं का यह पहला अनुवाद प्रकाशित हो रहा है।


काश ऐसा होता

काश ऐसा होता
कि ईश्वर मेरे बिस्तर के पास रखे
पानी भरे ग्लास के अन्दर से
बैंगनी प्रकाश पुंज सा अचानक प्रकट हो जाता

काश ऐसा होता
कि ईश्वर शाम की अजान बन कर
हमारे ललाट से दिन भर की थकान पोंछ देता

काश ऐसा होता
कि ईश्वर आंसू की एक बूंद बन जाता
जिसके लुढ़कने का अफ़सोस
हम मनाते रहते पूरे पूरे दिन

काश ऐसा होता
कि ईश्वर रूप धर लेता एक ऐसे पाप का
हम कभी न थकते जिसकी भूरी भूरी प्रशंसा करते

काश ऐसा होता
कि ईश्वर शाम तक मुरझा जाने वाला गुलाब होता
तो हर नयी सुबह हम नया फूल ढूढ़ कर ले आया करते
***

0 thoughts on “सीरिया से लीना टिब्बी की एक कविता : चयन तथा प्रस्तुति – यादवेन्द्र”

  1. बहुत ही शानदार कविता है, या अनुवाद ही इतना खूबसूरत है। जो भी है अनायास ही वाह करने को मन कर गया। बधाई भाई शिरीष तुम्हे और यादवेन्द्र जी को भी।

  2. ईश्वर
    मेरे दोस्त,
    मेरे पास आ!
    यहाँ बैठ,
    बीड़ी पिलाऊंगा
    चाय पीते हैं।
    बहुत दिनों बाद फ्री हूं
    तुम्हारी गोद में सोऊंगा
    तुम मुझे परियों की कहानी सुनाना
    फिर न जाने कब फुरसत होगी?

    अजेय – 1992
    copy pasted from:
    http://www.ajeyklg.blogspot.com

  3. ईश्वर
    मेरे दोस्त,
    मेरे पास आ!
    यहाँ बैठ,
    बीड़ी पिलाऊंगा
    चाय पीते हैं।
    बहुत दिनों बाद फ्री हूं
    तुम्हारी गोद में सोऊंगा
    तुम मुझे परियों की कहानी सुनाना
    फिर न जाने कब फुरसत होगी?

    अजेय – 1992
    copy pasted from:
    http://www.ajeyklg.blogspot.com

  4. Indeed its a beautiful poem!!
    Only if what it states would have been possible.
    I've read the english version of this poem as well but it wasn't so charming.
    Sirish Sir you have translated it extremely well added your own spell and imagination and intriguing writing style to it.
    Its wonderfully done!!

  5. बेहद अच्छी कविता का बहुत अच्छा अनुवाद। यादवेन्द्र जी का शुक्रिया कि उन्होंने इतने अच्छे कवि से मुलाकात कराई। अब मैं यहाँ मास्को में रूसी भाषा में लीना टिब्बी की कविताएँ ढूंढूंगा।
    शिरीष जी अभी आपको फ़ोन मिला रहा था, लेकिन आपका फ़ोन ही बन्द था अन्यथा आपको सीधे बधाई देने का मन था। यादवेन्द्र जी को शुभकामनाएँ।

  6. कुछ दिन हो गए इस कविता को लगाए हुए, तब से एकाधिक बार इसे पढ़ भी चुका हूँ.बधाई अनुवादक को, कविता अरब जगत के एकरसता पूर्ण दर्शन के हमारे मिथक को तोड़ती है.

  7. यादवेन्द्र जी, बेहद सादगी के साथ कही गयी इस कविता के लिए और ऐसी लगातार आने वाली आपकी पोस्ट्स के लिए आपका धन्यवाद

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