दहलीज़ : ४ – गोरख पांडे की कविता
चयन एवं प्रस्तुति : पंकज चतुर्वेदी कविता , युग की नब्ज़ धरो कविता , युग की नब्ज़ धरो अफ़रीका , लातिन अमेरिकाउत्पीड़ित हर अंग एशियाआदमखोरों
चयन एवं प्रस्तुति : पंकज चतुर्वेदी कविता , युग की नब्ज़ धरो कविता , युग की नब्ज़ धरो अफ़रीका , लातिन अमेरिकाउत्पीड़ित हर अंग एशियाआदमखोरों
वैसे तो ये दोनों कविताएँ अच्छी हैं लेकिन परंपरा के हाथ भी पीठ पर हों और कवि का अंदाज़ नव्यतम हो, इसका एक दुर्लभ उदाहरण
तुम्हारे पंजे देखकरडरते हैं बुरे आदमी तुम्हारा सौष्ठव देखकरखुश होते हैं अच्छे आदमी यही मैं चाहूँगा सुननाअपनी कविता के बारे में .( 1941-47 )( अनुवाद
एक गाँधी अध्ययन केन्द्र के सेमिनार का निमंत्रण मिलने पर अचानक निराला की यह कविता याद आने लगी है ………..इसके लगाने के लिए फोटो की
सोकार्दा इस्त्री सावित्री, जिन्हें आमतौर पर सोक सावित्री के नाम से जाना जाता है, 1968 में मुस्लिम बहुल इंडोनेशिया के हिन्दू बहुल बाली प्रांत में
हमारे सहलेखक पंकज चतुर्वेदी अनुनाद पर एक स्तम्भ शुरू कर रहे हैं। यह विशेष रूप से नए लेखकों के लिए है। इसके लिए रचनाओं के
अनुनाद पर मेरी पहली पोस्ट के रूप में प्रस्तुत है जर्मन अभिव्यंजनावादी कवि जार्ज हेइम (३० अक्तूबर १८८७ – १६ जनवरी १९१२) की एक कविता……..अनुवाद
युवा आलोचक प्रियम अंकित अनुनाद के सहलेखक हैं पर इंटरनेट की कुछ बुनियादी परेशानियों के कारण अपनी पहली पोस्ट नहीं लगा पा रहे थे –
दोस्तो / पाठको ! ये एक पुरानी कविता है, जिसे अपनी उलझनों के कारण एक पत्रिका में मैंने छपते छपते रोक लिया था। कविता कई
1साहित्य की जिस एक चीज़ ने मुझे मेरे लड़कपन में सबसे ज्यादा आकर्षित किया था, जिस एक चीज़ से सबसे ज्यादा राहत मिलती थी वो