अंग्रेज़ी साहित्यिक दुनिया में भले ही मारिओ बेनेदेती को उतना न जाना जाता हो पर लैटिन अमरीका के साहित्यिक जगत में उन्हें सदी के खूब बड़े क़द के कहानीकार, कवि, पत्रकार और राजनीतिक रूप में बेहद मुखर बुद्धिजीवी के तौर पर जाना जाता है। 1973 से 1985 के बीच जब उरुग्वे में सैनिक तानाशाही थी, तब बेनेदेती को प्रखर राजनीतिक विचारों के कारण अपना देश छोड़कर कभी अर्जेंटीना तो कभी पेरू, क्यूबा और स्पेन में शरण लेनी पड़ी। उन्हें स्पेनिश भाषाभाषी अनेक साहित्यिक सम्मान मिले। लैटिन अमरीका के अनेक संगीतकारों और फिल्मकारों ने उनकी कविताओं का प्रयोग अपने कार्यक्रमों में किया। 2006 में अनेक बड़े लैटिन अमरीकी साहित्यकारों के साथ मिलकर उन्होंने प्यूर्तो रिको की आज़ादी के लिए अभियान चलाया।

मारिओ बेनेदेती
उरुग्वे
उरुग्वे
(14/09/1920 से 17/05/2009)
हाइकू
1
मैं चाहता हूं
देखूं सब कुछ दूर से खड़ा होकर
पर तुम बने रहो मेरे साथ साथ
मैं चाहता हूं
देखूं सब कुछ दूर से खड़ा होकर
पर तुम बने रहो मेरे साथ साथ
2
कुछ भी हो
मौत इस बात का सबूत है
कि था यहां भी जीवन
कुछ भी हो
मौत इस बात का सबूत है
कि था यहां भी जीवन
3
केवल चमगादड़ है
जो समझता है दुनिया
पर सीधी नहीं उल्टी तरफ़ से
केवल चमगादड़ है
जो समझता है दुनिया
पर सीधी नहीं उल्टी तरफ़ से
4
तर्क के अंदर
वही शंकाएं प्रवेश कर पाती हैं
जिनके साथ लगी होती हैं चाबियां
तर्क के अंदर
वही शंकाएं प्रवेश कर पाती हैं
जिनके साथ लगी होती हैं चाबियां
5
जब मैं इकट्ठा कर पाया
एक एक कर अपनी तमाम अनिद्राएं
तभी घिर आयी मुझ पर नींद
***
जब मैं इकट्ठा कर पाया
एक एक कर अपनी तमाम अनिद्राएं
तभी घिर आयी मुझ पर नींद
***
खुद को बचा बचा कर मत चलो
खुद को बचा बचा कर मत चलो
सड़क के किनारे चलते हुए
ठिठको नहीं
मत जमाओ बर्फ़ की तरह अपनी खुशी को
अनिच्छा के साथ मत बढ़ाओ प्रेम के क़दम
खुद को बचा बचा कर मत चलो अब
या कभी भी
खुद को बचा बचा कर मत चलो
चुप्पी से ना भर लो खुद को अन्दर तक
ना ही दुनिया को बन जाने दो
सन्नाटे से भरी महज महफ़ूज़ जगह
अपनी पलकें मुंदने ना दो भारी होकर
जैसे आन पड़ी हो कोई मुसीबत
बोलो मत बग़ैर होठों को हरक़त में लाए
और सोना नहीं हरगिज़ उनींदेपन के बग़ैर
खुद के बारे में सोचना तो रक्त की कल्पना किए बग़ैर नहीं
वैसे ही समय देखे बिना
मत रख देना खुद को फैसले के तराजू पर ...
पर तमाम कोशिशें कर लेने के बाद भी
ना मुमक़िन हो पाए ऐसा
और अपनी खुशी को जमाना पड़ जाए बर्फ़ की मानिंद
अनिच्छा के साथ ही बढ़ाने पड़ जाएं प्रेम के क़दम
और चलना पड़े खुद को बचा बचा कर ही
चुप्पी भर लेनी पड़े दूर दूर तक अन्दर
दुनिया बनानी पड़ जाए
सन्नाटे से भरी महज एक महफ़ूज़ जगह
पलकों को मूंदना पड़ जाए मुसीबत की मानिंद भारी पड़कर
बोलना पड़े होठों को हरक़त में लाए बग़ैर
सोना पड़े उनींदेपन के बिना ही
रक्त की कल्पना किए बिना ही सोचना पड़ जाए खुद के बारे में
समय देखे बग़ैर
रखना पड़ जाए खुद को फैसले के तराजू पर
सड़क के किनारे चलते हुए
पड़ जाए एकदम से ठिठकना
और तुम चलने भी लगो खुद को बचा बचा कर
हो जाए जब ऐसी हालत
तब
बेहतर होगा छोड़ ही मेरा साथ
खुद को बचा बचा कर मत चलो
सड़क के किनारे चलते हुए
ठिठको नहीं
मत जमाओ बर्फ़ की तरह अपनी खुशी को
अनिच्छा के साथ मत बढ़ाओ प्रेम के क़दम
खुद को बचा बचा कर मत चलो अब
या कभी भी
खुद को बचा बचा कर मत चलो
चुप्पी से ना भर लो खुद को अन्दर तक
ना ही दुनिया को बन जाने दो
सन्नाटे से भरी महज महफ़ूज़ जगह
अपनी पलकें मुंदने ना दो भारी होकर
जैसे आन पड़ी हो कोई मुसीबत
बोलो मत बग़ैर होठों को हरक़त में लाए
और सोना नहीं हरगिज़ उनींदेपन के बग़ैर
खुद के बारे में सोचना तो रक्त की कल्पना किए बग़ैर नहीं
वैसे ही समय देखे बिना
मत रख देना खुद को फैसले के तराजू पर ...
पर तमाम कोशिशें कर लेने के बाद भी
ना मुमक़िन हो पाए ऐसा
और अपनी खुशी को जमाना पड़ जाए बर्फ़ की मानिंद
अनिच्छा के साथ ही बढ़ाने पड़ जाएं प्रेम के क़दम
और चलना पड़े खुद को बचा बचा कर ही
चुप्पी भर लेनी पड़े दूर दूर तक अन्दर
दुनिया बनानी पड़ जाए
सन्नाटे से भरी महज एक महफ़ूज़ जगह
पलकों को मूंदना पड़ जाए मुसीबत की मानिंद भारी पड़कर
बोलना पड़े होठों को हरक़त में लाए बग़ैर
सोना पड़े उनींदेपन के बिना ही
रक्त की कल्पना किए बिना ही सोचना पड़ जाए खुद के बारे में
समय देखे बग़ैर
रखना पड़ जाए खुद को फैसले के तराजू पर
सड़क के किनारे चलते हुए
पड़ जाए एकदम से ठिठकना
और तुम चलने भी लगो खुद को बचा बचा कर
हो जाए जब ऐसी हालत
तब
बेहतर होगा छोड़ ही मेरा साथ
***
***
अनुनाद पर स्वागत है यादवेंद्र जी ! आपके आगमन को हम साथी एक उपलब्धि मानते हैं. आपके आने से अनुनाद का अनुवाद पक्ष अधिक विविधता भरा होगा!
ReplyDeletebahut hi achchi kavita aur utana hi achcha anuvad hai.aise kavita ko anuvad ke madhyam se hindi jagat ko dene ke liye dhanyavad.
ReplyDeletealok
एक उत्सुकता से भरा सवाल....
ReplyDeleteक्या आपने स्पेनी से हिंदी अनुवाद किया है या अंग्रेजी संस्करण का सहारा लेकर अनुवाद किया है?
apne parichay mein jo sanket diya,vo unki kavita mein vakai behad shashakt aur shandar dhang se hai.
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