Wednesday, May 13, 2009

कोरियाई कवि कू सेंग की कविताओं का सिलसिला / दसवीं किस्त




शाम का धुंधलका

संयोग ही था
कि हम तीनों को ओलंपिक पार्क जाने का मौका मिला
एक दोस्त के घर हुई शादी से लौटते हुए
फरवरी के आखिरी दिनों में
आते बसंत की रौशनी से हम हतप्रभ रह गए
हमें लगा कि ऐसे में हमारा अलग-अलग रस्ते पकड़ कर
अपने घर चले जाना गलत होगा

हम अपने वृद्ध पेंशन कार्ड लाना भूल गए थे
लेकिन टिकट खिड़की पर बैठी लड़की ने हमसे रियायती दर ही ली
और मुस्कुरा कर हममें से एक की तरफ इशारा करते हुए बोली-
क्या यह `सोन्या रूल्स ऑफ वॉरफेअर´* जैसे नहीं हैं?

इसे बसंत भी कहा जा सकता था
लेकिन सूखी घास वाले पीले पार्क में देखने को कुछ भी नहीं था
पेड़ ठूंठ -से खड़े थे
हर चीज़ मानो अंतहीन उजाड़ थी
और चारों तरफ खड़े तथाकथित आधुनिक मूर्तिशिल्प भी
इतने सुंदर नहीं थे

एक पहाड़ी के ऊपर से गुज़रते हुए हमें
तीन बूढ़ों का एक और समूह मिला
वे हमारी ही उम्र के थे
हमारी ओर भरपूर गर्मजोशी से बढ़ते हुए

"मेरे दोस्त वो क्या है जो तुमसे कहता है जाओ
उन लोगों में शामिल हो जाओ? "
- मेरे दोस्त उपन्यासकार चांग पाई-सॉक ने
मुझे देखते हुए कहा
- "तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि तुम उनसे बेहतर हो? "

हालांकि
हमने आपस में खूब हँसी -मज़ाक किया
पर हमारे कपड़े
हमारी असलियत बखान रहे थे

ऐसे स्थान से गुज़रते हुए
जिसमें आप पुरानी भूगर्भीय हलचलों के अवशेष देख सकते थे
हम एक और पहाड़ी पर पहुंचे
वहाँ से हमें दूर पैवेलियन दिखता था
एक तालाब
और पत्थरों का एक पुल
लेकिन अब हममें से किसी में भी
आगे चलने की ताकत नहीं बची थी
कवि किम कवांग-क्यून जो चलने के लिए छड़ी का सहारा ले रहे थे
सबसे पहले बोले-
- "वहाँ कुछ ख़ास नहीं दिखाई दे रहा!"
" तुम जैसे साथियों के साथ
कुछ भी अच्छा नहीं दिख
सकता" - हमारे इस संग-साथ को
कमतर सिद्ध करते हुए मैंने कहा
और यह सुनते ही बूढ़े पाई-सॉक फट पड़े-
" हाँ क्यों नहीं इसके लिए तो लेडी मिनिस्टर ** को आना चाहिए था यहाँ"
हममें से कोई भी अब हँसी रोक नहीं सकता था

हम एक दूसरे पर झुंझला रहे थे
देखा जाए तो हम कुछ नहीं थे
तीन सूखे पेड़ो के सिवा
हम बसंत देखना चाहते थे लेकिन हमारी उम्र में आकर
कुछ भी ऐसा नहीं बच गया था
जो हमें खुश करता

हम ऐसे तीन पुराने पेड़ों की तरह हो गए थे
जो आसमान को ताकते रहते हैं
जहां झिलमिला रही है डूबते दिन की
पीली रौशनी!
_____________________________________________________________________ अनुवादक की टीप :
*सोन्या रूल्स ऑफ वारफेअर एक मूल चीनी उपन्यास का नाम है- जिसे पाई-सॉक ने कोरियाई भाषा में अनुवाद किया और इस पर आधारित टी0वी0 सारियल बेहद लोकप्रिय हुआ।
** लेडी मिनिस्टर निबंधकार कु0 चो क्योंग-हुई का एक नाम है( जो कभी कैबिनेट मंत्री
रहीं।)


एक टेढ़ी मुस्कान


गृहणियों को व्याख्यान देने के अपने काम से
मैं टॉकसू पैलेस गार्डन गया
वहाँ अचानक ही मैंने देखा अपने एक हमउम्र दोस्त को बैठे हुए
एक जवान लड़की के साथ

वहाँ वे पूरी वाचालता के साथ बैठे थे
कुहनी से कुहनी सटाए

मुझे इस दृश्य पर यक़ीन ही नहीं आया
उसे चिढ़ाने के लिए मैंने ज़ोर से पुकारा- `` बूढ़े साथी क्या हाल हैं तुम्हारे ?´´वह उठकर आया और बोला -
`` क्या तुम जलन महसूस कर रहे हो मुझसे?
तुम्हारे मन में जो आए करो
फूलों के बिस्तर क्या सिर्फ तुम्हारे लिए हैं? ´´
- उसने टका-सा जवाब दिया

अपनी राह पकड़ते हुए मैंने गौर किया
वह सत्तर के ऊपर था
उसकी पत्नी दिवंगत हो गई थी पिछले साल ही
वह अपने फ्लैट में अकेला रहता था
हो सकता है कुछ.........

अपना व्याख्यान समाप्त करके जब मैं वापस लौटा
तो देखा वह बैठा है बेंच पर
अकेला
`` ठुकरा दिये गए? ´´- चिढ़ाते हुए पूछा मैंने

`` वह मेरी पोती थी यार जो किसी के प्रेम में पड़कर
घर से भाग गयी है
और मुझसे बात करना चाहती थी! ´´
-उसने एक टेढ़ी मुस्कान के साथ जवाब दिया

यह हमारे जीवन का विद्रूप था

मैं भी मुस्कुराया वैसी ही एक टेढ़ी मुस्कान
और हम अपनी पसंदीदा मधुशाला की ओर बढ़ लिए !


3 comments:

  1. दसवीं किस्त माने कितबिया तैयार !
    कबा आ रही है भाई?

    ReplyDelete
  2. जवाहिर चा कितबिया २००७ में मध्य प्रदेश की एक पत्रिका पुनश्च द्वारा छापी जा चुकी है ! रीप्रिंट शाइनिंग से स्टार छपेगा अगले साल तक.

    ReplyDelete

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