हमारी दुनिया की हर अच्छी चीज़ को बचाते हुए एक नयी दुनिया बनाने की छटपटाहट लाल्टू के शब्दों में है. उनके यहाँ कविता 'रेटरिक' न होकर 'पैशन' है. यथास्थिति से घमासान करते हुए भी लाल्टू की कवितायें जीवन से टूटकर प्यार करती हैं. प्रस्तुत हैं उनकी दो कवितायें जो हमारे अनुरोध पर उन्होंने अनुनाद के लिए भेजी हैं.
छोटे-बड़े तारे नहीं जानते ग्रहों में कितनी जटिल
जीवनधारा
आकाशगंगा को नहीं पता भगीरथ का
इतिहास वर्तमान
चल रहा बहुत कुछ हमारी कोशिकाओं में
हमें नहीं पता
अलग-अलग सूक्ष्म दिखता जो संसार
उसके टुकड़ों में भी है प्यार
उनका भी एक दूसरे पर असीमित
अधिकार
जो बड़े हैं
नहीं दिखता उन्हें छोटों का जटिल संसार
छोटे दिखनेवालों का भी होता बड़ा घरबार
छोटी नहीं भावनाएं, तकलीफें
छोटे नहीं होते सपने.
कविता,विज्ञान,सृजन,प्यार
कौन है क्या है वह अपरंपार
छोटे-बड़े हर जटिल का अहसास
सुंदर शिव सत्य ही बार बार.
(पश्यंतीः अक्तूबर - दिसंबर २०००)
दो
गाओ गीत कि कोई नहीं सर्वज्ञ
पूछो कि क्या तुम्हारी साँस तुम्हारी है
क्या तुम्हारी चाहतें तुम्हारी हैं
क्या तुम प्यार कर सकते हो
जीवन से, जीवन के हर रंग से
क्या तुम खुद से प्यार कर सकते हो
धूल, पानी, हवा, आस्मान
शब्द नहीं जीवन हैं
जैसे स्वाधीनता शब्द नहीं, पहेली नहीं
युवाओं, मत लो शपथ
गरजो कि जीवन तुम्हारा है
ज़मीं तुम्हारी है
यह ज़मीं हर इंसान की है
इस ज़मीं पर जो लकीरें हैं
गुलामी है वह
दिलों को बाँटतीं ये लकीरें
युवाओं मत पहनो कपड़े जो तुम्हें दूसरों से अलग नहीं
विच्छिन्न करते हैं
मत गाओ युद्ध गीत
चढ़ो, पेड़ों पर चढ़ो
पहाड़ों पर चढ़ो
खुली आँखें समेटो दुनिया को
यह संसार है हमारे पास
इसी में हमारी आज़ादी, यही हमारी साँस
कोई स्वर्ग नहीं जो यहाँ नहीं
जुट जाओ कि कोई नर्क न हो
देखो बच्चे छूना चाहते तुम्हें
चल पड़ो उनकी उँगलियाँ पकड़
गाओ गीत कि कोई नहीं सर्वज्ञ, कोई नहीं भगवान
हम ही हैं नई भोर के दूत
हम इंसां से प्यार करते हैं
हम जीवन से प्यार करते हैं
स्वाधीन हैं हम.
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पहली पोस्ट का स्वागत.
ReplyDeleteपढ़वाने के लिए शुक्रिया ..
ReplyDeleteमेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
अच्छी कविताएँ....जरूरी कविताएँ
ReplyDeletegood writing,pl keep it up ,u have a better future I think.
ReplyDeleteWith best wishes
dr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com