Saturday, January 31, 2009

वसन्त पंचमी यानी निराला यानी वसन्त पंचमी यानी निराला ..

(कवि -चित्र के चित्रकार : प्रभु जोशी / यहाँ से साभार)

सखि, वसंत आया
भरा हर्ष वन के मन
नवोत्कर्ष छाया !

किसलय-वसना नव लय लतिका
मिली मधुर प्रिय-उर तरु-लतिका
मधुप-वृंद बन्दी-
पिक-स्वर नभ सरसाया !

सखि वसंत आया !

लता-मुकुल-हार-गंध-भार भर
बही पवन मंद मंद मंदतर
जागी नयनों में वन-
यौवन की माया !

सखि वसंत आया !

आवृत सरसी-उर-सरसिंज उठे
केशर के केश कली के छुटे
स्वर्ण-शस्य-अंचल
पृथ्वी का लहराया !

सखि, वसंत आया !

6 comments:

  1. वसंत पंचमी को आपने सार्थक कर दिया.

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  2. बसंत पंचमी की आप को हार्दिक शुभकामना

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  3. बसंत पंचमी की आप को हार्दिक शुभकामना

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  4. बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ

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  5. बहुत बढ़िया..बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.

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  6. एक मेरी और से भी श्रीकांत वर्मा जी के शब्दों में:

    झरते हैं पीले पत्ते नहीं दिन
    मेरे आकाश में
    कोई भी नहीं मुझे
    देख रहे हैं सभी
    दहन पलाश में

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