
सखि, वसंत आया
भरा हर्ष वन के मन
नवोत्कर्ष छाया !
किसलय-वसना नव लय लतिका
मिली मधुर प्रिय-उर तरु-लतिका
मधुप-वृंद बन्दी-
पिक-स्वर नभ सरसाया !
सखि वसंत आया !
लता-मुकुल-हार-गंध-भार भर
बही पवन मंद मंद मंदतर
जागी नयनों में वन-
यौवन की माया !
सखि वसंत आया !
आवृत सरसी-उर-सरसिंज उठे
केशर के केश कली के छुटे
स्वर्ण-शस्य-अंचल
पृथ्वी का लहराया !
सखि, वसंत आया !
वसंत पंचमी को आपने सार्थक कर दिया.
ReplyDeleteबसंत पंचमी की आप को हार्दिक शुभकामना
ReplyDeleteबसंत पंचमी की आप को हार्दिक शुभकामना
ReplyDeleteबसंत पंचमी की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..बसंत पंचमी की शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteएक मेरी और से भी श्रीकांत वर्मा जी के शब्दों में:
ReplyDeleteझरते हैं पीले पत्ते नहीं दिन
मेरे आकाश में
कोई भी नहीं मुझे
देख रहे हैं सभी
दहन पलाश में