Tuesday, October 28, 2008
10 comments:
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जरूर आयेंगे दोस्त!!
ReplyDeleteघोर निराशा के समय में इस आवाज़ का हौसला बहुत...बहुत है। अच्छे दिनों की आस...एक विश्वास, लेकिन एक भय भी है उसके टूट जाने का। तो भी आज के लिए बहुत ज़रूरी आवाज़ है ये।
ReplyDeleteजरूर आयेंगे...
ReplyDeleteदीपावली के इस शुभ अवसर पर आप और आपके परिवार को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
प्रतीक्षा जरूर रंग लाएगी।
ReplyDeleteदीपावली की शुभकामनाएं।
ज़रूर आयेंगे अच्छे दिन. ज़रूरी ये है कि ख्वाब ज़िन्दा रहें.... उम्मीद बरक़रार रहे ...
ReplyDeleteदीपावली ऎसी ही उम्मीदों की रोशनी जगमगाए।
ReplyDeleteआयेंगे अच्छे दिन आयेंगे
ReplyDeleteगई हज़ारहा आँखों से नींद
न गए मगर ख़्वाब न गए
जाने क्यों उम्मीद भी उदास कर जा रही है? अब वीरेन डंगवाल की कविता `आएंग अच्छे दिन' का पाठ भी करा देना।
ReplyDeleteऔर शिरीष भाई, जाने किस उदासी में यह पोस्ट कर दी, राम-रहीम करना तक भूल गया। दीवाली मुबारक।
ReplyDeleteदोस्त, अपने सिस्टम पर अभी सुनने की कोई व्यवस्था नहीं है।
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