
तुम भूलने लगे हो
कि कितने लोगों चीज़ों और हलचलों से भरी है
दुनिया
उम्र अभी चौंतीस ही है तुम्हारी
बावजूद इसके
तुम व्यस्त रहने लगे हो
अक्सर
किसी खुफ़िया एकालाप में
लगता है
तुम दुनिया में नहीं किसी रंगमंच पर हो
और कुछ ही देर में शुरू होने वाला है
तुम्हारा अभिनय
जिसमें कोई दूसरा पात्र नहीं है
और न ही ज़्यादा संवाद
पता नहीं
अपनी उस विशिष्ट अकुलाहट भरी
भारी
भरभराती आवाज़ में
त्रासदी अदा करोगे तुम
या करोगे
कोई प्रहसन
तुम्हारे भीतर एक जाल है धमनियों और शिराओं का
और वे भी अब भूलने लगी हैं
तुम्हारे दिमाग तक रक्त पहुंचाना
इसलिए
तुम कभी बेहद उत्तेजित तो कभी गहरे अवसाद में रहते हो
तुम भूल गए हो
कि कितना वेतन मिलता है तुम्हें
और उसके बदले कितना किया जाना चाहिए
काम
तुम्हें लगता है
वापस लौट गए हो बारह बरस पहले की
अपनी उसी गर्म और उमस भरी
उर्वर दुनिया में
जहाँ कभी इस छोर से उस छोर तक
नौकरी खोजते भटका करते थे तुम
सपने में दिखती छायाओं -से
अब तुम्हें दिखने लगे हैं
अपने जन
किसी तरह रोटी कमाते
काम पर जाते
भीतर ही भीतर रोते- सुलगते
किसी बड़े समर की तैयारी में
जीवन की कई छोटी-छोटी लड़ाईयां हार जाते
वे अपने जन
जिनसे तुम दूर होते जा रहे थे
लफ्ज़-दर-लफ्ज़
कहो कैसे हो शिरीष
अब तो कहो ?
जबकि भूला हुआ है वह सभी कुछ
जिसे तुम भूल जाना चाहते थे
अपने होशो -हवास में
अब
अगर तुम अपने भीतर के द्वार खटखटाओ
तो तुम्हें सुनाई देगी
सबसे बुरे समय की मुसलसल पास आती पदचाप
अब तुम्हारा बोलना
कहीं ज़्यादा अर्थपूर्ण और मंतव्यों भरा होगा !
०००
2007
apne dil ki baten aapke shabdon me mahsus hui.
ReplyDeleteshirish jee aap 2007 me bhi achchha likhte the aur 2008 me bhi achchha likhte hain. aapne pahle bhi achchha likha hai aur bad men bhi achchha likhenge.
ReplyDeleteअब
ReplyDeleteअगर तुम अपने भीतर के द्वार खटखटाओ
तो तुम्हें सुनाई देगी
सबसे बुरे समय की मुसलसल पास आती पदचाप
अब तुम्हारा बोलना
कहीं ज़्यादा अर्थपूर्ण और मंतव्यों भरा होगा !
--बहुत बेहतरीन एकालाप!!
िकसे सचेत कर रहे हैं?.....
ReplyDeleteतुम भूल गए हो
कि कितना वेतन मिलता है तुम्हें
और उसके बदले कितना किया जाना चाहिए
काम
तुम्हें लगता है
वापस लौट गए हो बारह बरस पहले की
अपनी उसी गर्म और उमस भरी
उर्वर दुनिया में
जहाँ कभी इस छोर से उस छोर तक
नौकरी खोजते भटका करते थे तुम.
kya baat hai k vyast rehne lage ho kisi khifiya ekalaap me......?
ReplyDelete