
उसे आए अभी पाँच ही बरस हुए हैं
और हम दोनों को बत्तीस
लेकिन हम उतनी नहीं दिखा पाते दुनिया उसे
अकसर वही उठाता है ऊँगली
किसी भी परिचित या अनजान चीज़ की तरफ
कुछ ही समय पहले वह खड़ा हुआ था धरती पर
पहली बार
उसे बेहद कोमल
और जीवन्त चीज़ की तरह इस्तेमाल करता हुआ
डगमगाते चलते थे उसके पाँव
जिन्हें अब वह जमा चुका
हमारी भाषा सीखने से पहले
उसने न जाने कितनी भाषाएँ बोली
हमें कुछ न समझता देख
खीझ कर अकसर ही हाथ-पांवों से समझायी
अपनी बात
वह रोया खूब चीख-चीखकर
और हँसा दुनिया की सबसे बेदाग हँसी
उसे चोट लगी तो दुनिया थम गई
पहली बार स्कूल गया तो हमने किया उसके लौटने तक
जीवन का सबसे लम्बा इन्तज़ार
बिस्तर पर उसे अपने बीच सोता देख पत्नी ने कहा
कई-कई बार - देखो तो
दरअसल हमने किया कितना ख़ूबसूरत प्यार!
हम सोच ही नहीं पाते
कि हम कभी उसके बिना भी थे इस विपुला पृथिवी पर
उसी के साथ तो हमारी दुनिया ने आकार लिया
उसके लिए बेहद जोश से भरे ये दिल
काँपते भी हैं कभी-कभी
आने वाली दुनिया में उसके किन्हीं अनजान
मुश्किल दिनों के बारे में सोचकर
हम शायद कभी रचकर नहीं दे सकेंगे उसे
दुनिया अपने हिसाब की
निरापद और सुकून से भरी
अपने सफ़र तो वही तय करेगा और एक दिन हमारे बाद
अपने साथ
बेहद चुपचाप
हमारी भी दुनिया रचेगा
फ़िलहाल तो बैठा दिखाई देता है
बिलानागा
पिता की पसन्दीदा कुर्सी पर
कुछ गुनगुनाता
और हम दोनों को बत्तीस
लेकिन हम उतनी नहीं दिखा पाते दुनिया उसे
अकसर वही उठाता है ऊँगली
किसी भी परिचित या अनजान चीज़ की तरफ
कुछ ही समय पहले वह खड़ा हुआ था धरती पर
पहली बार
उसे बेहद कोमल
और जीवन्त चीज़ की तरह इस्तेमाल करता हुआ
डगमगाते चलते थे उसके पाँव
जिन्हें अब वह जमा चुका
हमारी भाषा सीखने से पहले
उसने न जाने कितनी भाषाएँ बोली
हमें कुछ न समझता देख
खीझ कर अकसर ही हाथ-पांवों से समझायी
अपनी बात
वह रोया खूब चीख-चीखकर
और हँसा दुनिया की सबसे बेदाग हँसी
उसे चोट लगी तो दुनिया थम गई
पहली बार स्कूल गया तो हमने किया उसके लौटने तक
जीवन का सबसे लम्बा इन्तज़ार
बिस्तर पर उसे अपने बीच सोता देख पत्नी ने कहा
कई-कई बार - देखो तो
दरअसल हमने किया कितना ख़ूबसूरत प्यार!
हम सोच ही नहीं पाते
कि हम कभी उसके बिना भी थे इस विपुला पृथिवी पर
उसी के साथ तो हमारी दुनिया ने आकार लिया
उसके लिए बेहद जोश से भरे ये दिल
काँपते भी हैं कभी-कभी
आने वाली दुनिया में उसके किन्हीं अनजान
मुश्किल दिनों के बारे में सोचकर
हम शायद कभी रचकर नहीं दे सकेंगे उसे
दुनिया अपने हिसाब की
निरापद और सुकून से भरी
अपने सफ़र तो वही तय करेगा और एक दिन हमारे बाद
अपने साथ
बेहद चुपचाप
हमारी भी दुनिया रचेगा
फ़िलहाल तो बैठा दिखाई देता है
बिलानागा
पिता की पसन्दीदा कुर्सी पर
कुछ गुनगुनाता
घर के उस इकलौते तानाशाह को
अपदस्थ करता हुआ !
अपदस्थ करता हुआ !
०००
२००६