अनुवाद की भाषा

अनुवाद की भाषा से अच्छी क्या भाषा हो सकती है
वही है एक सफ़ेद परदा
जिस पर मैल की तरह दिखती है हम सबकी कारगुजारी
सारे अपराध मातृभाषाओं में किए जाते हैं
जिनमें हरदम होता रहता है मासूमियत का विमर्श
ऐसे दौर आते हैं जब अनुवाद में ही कुछ बचा रह जाता है
संवेदना को मार रही है
अपनी भाषा में अत्याचार की आवाज़ !
***

अनुवाद की भाषा से अच्छी क्या भाषा हो सकती है
वही है एक सफ़ेद परदा
जिस पर मैल की तरह दिखती है हम सबकी कारगुजारी
सारे अपराध मातृभाषाओं में किए जाते हैं
जिनमें हरदम होता रहता है मासूमियत का विमर्श
ऐसे दौर आते हैं जब अनुवाद में ही कुछ बचा रह जाता है
संवेदना को मार रही है
अपनी भाषा में अत्याचार की आवाज़ !
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अशोक पांडे की संगत में मैंने अनुवाद करने शुरू किए और फलस्वरूप येहूदा आमीखाई का संकलन अस्तित्व में आया " धरती जानती है "..... अशोक के कारण ही विश्व कविता के द्वार मेरे आगे खुले , उसी को समर्पित है असद जी की ये अद्भुत कविता ........
सच में अद्भुत है यह कविता. शुक्रिया.
ReplyDeleteअसद जी की बात गहरी है। और आपने अशोक जी की 'कुसंगति' में जो सीखा है, वह भी उल्लेखनीय है। ऐसी संगति हर युवा रचनाकार को मिले। बधाई।
ReplyDeleteबेहतरीन कविता . येहुदा आमीखाई का आपका अनुवाद देखने-पढने की इच्छा है .
ReplyDeleteधन्यवाद दोस्तो !
ReplyDeleteप्रियंकर जी शुक्रिया ! किताब संवाद प्रकाशन से छपी है - हम दो अनुवादक हैं - अशोक और मैं !
प्रतिलिपि के नए अंक में हम मंगलेशदा की तीन कवितायें असदजी के अंग्रेज़ी अनुवादों में छाप रहे हैं. मंगलेशदा कोई फोटो नहीं भेज पा रहे; क्या आप हमे आपके ब्लॉग पर जो फोटो है उसे हुबहू इस्तेमाल करने की आज्ञा दे सकते हैं?
ReplyDeleteगिरिराज भाई जरूर छापिए, बस मेरे ब्लाग जिक्र दीजिएगा।
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