हाथों की व्याख्या मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं इन हाथों की मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़ कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल Read More » April 13, 2008
1965 मैं आपा के बारे में बात कर रहा हूँ जो अम्मी के बारे में बात करती थी जो शौहर के बारे में बात करती थीं Read More » April 5, 2008
संस्कार बीच के किसी स्टेशन पर दोने में पूड़ी साग खाते हुए आप छिपाते हैं अपना रोना जो अचानक शुरू होने लगता है पेट की मरोड़ Read More » April 4, 2008