प्रधानाध्यापक निलंबित
एक मशहूर अखबार के
स्थानीय संस्करण के पहले सफ़े पर मोटे शीर्षक में
छपी है ख़बर -
``प्रधानाध्यापक निलंबित´´
ज़िलाधीश ने अपने औंचक दौरे में पाया
कि पाठशाला में
उपस्थित नहीं थे प्रधानाध्यापक सेवकराम त्रिपाठी
और वहाँ उनकी ओर से छुट्टी की कोई अर्जी भी मौजूद नहीं थी
लिहाजा
उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाना तय हुआ
उस दिन तो क्या
लगातार पिछले तीन दिनों से पाठशाला नहीं आए थे
सेवकराम त्रिपाठी
उनके निलम्बन से बावस्ता ख़बर जो छपी
उसमें भी नहीं थी इतनी गुंजाइश
और सदाशयता
कि पता किया जा सके आखिर क्यों उपस्थित नहीं थे
सेवकराम त्रिपाठी ?
महीना भर पहले ही
विभाग के बड़े अफसर को घूस देकर
किसी तरह भविष्य निधि से अग्रिम स्वीकृत करा
अपनी तीसरी और आखिरी बिटिया का विवाह किया था उन्होंने
और अब गंगासागर जाने के बारे में सोच ही रहे थे
कि अचानक
उस बिटिया के ससुराल में दुबारा
तलब कर लिया गया
उन्हें
वे गए भागते
बिना किसी से कुछ कहे
कांपते दिल से
वहाँ जाकर अपने दशम् ग्रह जामाता के मुख से
सुना उन्होंने एक महीने के भीतर होंडा पल्सर मोटरसाइकिल
और
नोकिया एन सिरीज़ मोबाइल ला देने का
फ़रमान
वे न तो इन शब्दों
और न ही इन वस्तुओं को समझ पा रहे थे ठीक से
हालांकि
घूमने लगे थे उनके सामने टीवी में मंडराते
गुदाज़ अधनंगी लड़कियों
और रंगीनियों से बजबजाते कई सारे विज्ञापन
वे तो दरअसल पानी भी नहीं मांग सकते थे
बिटिया की चौखट पर
कंठ के लगातार सूखते चले के बावजूद
ऐसा करने से कुल की परम्परा
और मरजाद भंग होती थी
अपने अंतस में गहराती एक अजीब-सी प्यास लिए
वे लौट रहे थे
रोती-बिलखती बिटिया के घर से
उस गीली और गाढ़ी शाम में
मरे मन से बस अड्डे पर उतरकर उन्होंने बरसों बाद
अकेले में बैठकर
दो प्याला देशी शराब पी
उन्हें नहीं पता था
कि इस दुनिया में लौटने का आखिर ठीक-ठीक क्या आशय होता है
लेकिन वे लौट रहे थे
अभी कोस भर दूर ही था उनका घर कि अधराह में सीने के दर्द से तड़पकर
अपना यह लौटना बीच में रोक
सड़क के किनारे की भीगी मिट्टी में
लेट जाना पड़ा उन्हें
और वे लेट गए आकाश में तारों का आना
और
पक्षियों का लौटना देखते
उनके भीतर टूटती जा रही थी हर चीज़
और वे लेटे रहे
सुनते हुए जीवन के टूटने की कुछेक आखिरी अनाम आवाजें
दूसरे दिन मृत पाये गए
स्कूल से सौ किलोमीटर दूर अपने गाँव के बाहर
हालांकि
उनकी देह ने हार जाने से पहले घिसटकर कुछ दूर चलने की कोशिश भी की
जो दर्ज थी
सड़क किनारे की मिट्टी पर
जब दिखाई जा रही थी
उनकी देह को
उसके हिस्से की आखिरी धुआंती -सुलगती आग
ठीक उसी रात
स्थानीय संवाददाता के हवाले से
अखबार में छापी जा रही थी
यह ख़बर -
``प्रधानाध्यापक निलंबित´´
अगले रोज़ ज़िलाधीश महोदय की सुबह की चाय को
खुशनुमा बनाने के वास्ते !
Saturday, April 26, 2008
Sunday, April 13, 2008
हाथों की व्याख्या
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरे हाथ हैं
इन हाथों की
मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़
कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल कर आती हैं
हाथ इंतजार में थक जाते हैं
कुछ चीज़ें तेज़ी से उड़ती हुयी ऊपर से गुज़र जाती हैं
हाथ देखते रह जाते हैं
मैंने देख कर सारी रफ्तारॅ देख ली है ज़माने की रफ्तार
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं
इन आंखों की
ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं
देखिये ये आँखे देख रही हैं - समय का चक्का घूम रहा है
मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़
मैं व्याख्या करता हूँ देखिये ये मेरा गला है
मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ
पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से !
" बहनें तथा अन्य कवितायेँ " से
इन हाथों की
मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़
कुछ चीज़ें चींटियों की तरह चल कर आती हैं
हाथ इंतजार में थक जाते हैं
कुछ चीज़ें तेज़ी से उड़ती हुयी ऊपर से गुज़र जाती हैं
हाथ देखते रह जाते हैं
मैंने देख कर सारी रफ्तारॅ देख ली है ज़माने की रफ्तार
मैं व्याख्या करता हूँ ये मेरी आँखे हैं
इन आंखों की
ये आँखे सब कुछ देखने को तैयार हैं
देखिये ये आँखे देख रही हैं - समय का चक्का घूम रहा है
मैं नहीं जानता कहाँ से आती है आवाज़
मैं व्याख्या करता हूँ देखिये ये मेरा गला है
मैं यहाँ से बोलना चाहता हूँ
पर यह गला बहुत डरता है अपने ही हाथों से !
" बहनें तथा अन्य कवितायेँ " से
Saturday, April 5, 2008
1965
मैं आपा के बारे में बात कर रहा हूँ जो
अम्मी के बारे में बात करती थी जो शौहर के बारे में
बात करती थीं जो उस अफसर के बारे में बात करते थे
जो देश के बारे में बात करता था जो
युद्ध के बारे में बात कर रहा था चीखते हुए उन दिनों
पाकिस्तान के बारे में फिलहाल कोई बात नहीं करूंगा !
असद जी की ये बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करने वाली छोटी -सी कविता उनके पहले संकलन " बहनें और अन्य कवितायेँ " से ...............
अम्मी के बारे में बात करती थी जो शौहर के बारे में
बात करती थीं जो उस अफसर के बारे में बात करते थे
जो देश के बारे में बात करता था जो
युद्ध के बारे में बात कर रहा था चीखते हुए उन दिनों
पाकिस्तान के बारे में फिलहाल कोई बात नहीं करूंगा !
असद जी की ये बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करने वाली छोटी -सी कविता उनके पहले संकलन " बहनें और अन्य कवितायेँ " से ...............
Friday, April 4, 2008
संस्कार
बीच के किसी स्टेशन पर दोने में पूड़ी साग खाते हुए
आप छिपाते हैं अपना रोना
जो अचानक शुरू होने लगता है पेट की मरोड़ की तरह
और फ़िर छिपाकर फेंक देते हैं
कहीं कोने में
अपना दोना
सोचते हैं - मुझे एक स्त्री ने जन्म दिया था
मैं यों ही
दरवाज़े से निकल कर नहीं चला आया था !
असद जी की ये अद्वितीय कविता उनके पहले संकलन " बहनें और अन्य कवितायेँ " से ...............
आप छिपाते हैं अपना रोना
जो अचानक शुरू होने लगता है पेट की मरोड़ की तरह
और फ़िर छिपाकर फेंक देते हैं
कहीं कोने में
अपना दोना
सोचते हैं - मुझे एक स्त्री ने जन्म दिया था
मैं यों ही
दरवाज़े से निकल कर नहीं चला आया था !
असद जी की ये अद्वितीय कविता उनके पहले संकलन " बहनें और अन्य कवितायेँ " से ...............
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