टीन की चादर
यह कुछ ठोंकने की आवाज़ है
और यह कुछ पीटने की
एक भारी-भरकम हथौडे के नीचे
पट पटा रही है टीन की चादर
क्या बनेगा इसका ?
किसी दुकान का शटर
या फ़िर किसी गरीब घर की छत
शटर बना अगर इसका
तो यह एक बाज़ार के मुहाने को खोलने और बंद करने के
काम आएगी
निगल जायेगी
बाज़ार के बाहर के सभी सपने
और अगर कहीं
किसी छोटे-से घर की छत बन पाई यह
तो आएँगी गर्मियों में
ताप से चिटकने की आवाजें इससे
बरसात में
बूंदों का संगीत झरेगा
और एक धीमी - धीमी टुकटुकाहट के साथ
दाना चुगेगा
गौरैयों का झुंड जाड़ों में इस पर
तो बोलो -
"अब तुम ही बोलो मेरी ठनठनाती टीन की चादर
बाज़ार जाओगी की घर ?"
ये कविता भी कोई दस साल पुरानी है ........
शिरीष की कविता
ReplyDeleteअच्छी कविता
झूठ नहीं सचमुच अच्छी कविता
बहुत बढ़िया [ दस साल !!!!!!] - मनीष
ReplyDeleteबढ़िया.. पुरानी और मजबूत..
ReplyDeletehain g...bahut badhiya hainge g...
ReplyDelete