राजेन्द्र कैडा दोस्तो ये बिना शीर्षक कविता एक बिलकुल नए कवि के पहले प्रेम की कविता है ! आप बताइए कैसी है ! *** सपनों पर किसी Read More » March 31, 2008
अप्रकाशित कविता एक कविता जो पहले ही से ख़राब थी होती जा रही है अब और ख़राब कोई इंसानी कोशिश सुधार नहीं सकती मेहनत से और बिगाड़ Read More » March 30, 2008
ग़ज़ल सुकूते- राह में उसके कयाम की दुनिया बहुत हसीन है अब मेरे नाम की दुनिया मुझे है चाह फजा में बिखर के रहने की ये Read More » March 28, 2008
बोधिसत्व बोधि भाई की एक और छोटी – सी, लेकिन अर्थ विस्तार में खूब बड़ी और खुली कविता सिकंदर सिकंदर ! सैनिक थके हुए हैं सैनिक Read More » March 27, 2008
बोधिसत्व बोधिसत्व की ये कविता उनके पहले संकलन से है और आप देख सकते हैं कि वैश्विक स्तर पर आज कितनी प्रासंगिक है। ऐसी ही कुछ Read More » March 24, 2008