अनुनाद

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कुमाउनी लोक-साहित्य में घुघुत- संजय घिल्डियाल

पाश्चात्य ज्ञान मीमांसा मुख्य रूप से सामाजिक परिदृश्य तथा प्राकृतिक क्षेत्र के मध्य विरोध पर आधारित है।1 ऐसा विरोध पारिस्थितिक परिप्रेक्ष्य को नितांत रूप से

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हिन्दी साहित्य और न्यू मीडिया- लीलाधर मंडलोई से मेधा नैलवाल का साक्षात्कार

मेधा नैलवाल – हिंदी साहित्य और न्यू मीडिया के संबंध को आप किस तरह देखते हैं ? लीलाधर मंडलोई– हिन्‍दी और न्‍यू मीडिया के संबंध में

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हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया पर याद आता है-  देवेन्द्र आर्य

                                ग़ालिब एक सांसारिक कवि हैं। मोह-लिप्त मगर माया-निर्लिप्त। दुनियाबी रंगीनियों को अगर होठों से पीने में हाथ साथ न दे रहे हों,

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हर्षिल पाटीदार की कविताएं

   पिता    वे सिर्फ एक छत ही नहीं,पेपरवेट भी थे.जैसे ही हटे,हमकागज के पन्नों-सेबिखरते चले गए.***    यथार्थ     जब मैं स्वयं कोसम्पूर्ण रूप सेपवित्र समझ चुका

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